नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, जनरेशन जेड आंदोलन के बाद अंतरिम सरकार का गठन

Kathmandu first woman prime minister news: नेपाल में भारी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार शाम को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा शपथ ग्रहण कर नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। यह नियुक्ति ‘जनरेशन जेड’ (Gen Z) युवाओं के नेतृत्व में चले भ्रष्टाचार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बाद हुई, जिनमें कम से कम 51 लोगों की मौत और 1,300 से अधिक घायल हुए। सुशीला कार्की, जो पहले नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, अब अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी और मार्च 2026 तक नए चुनाव कराने का जिम्मा संभालेंगी।

शपथ ग्रहण और पृष्ठभूमि
शुक्रवार को शीतल निवास में आयोजित संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति पौडेल ने सुशीला कार्की को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। संसद को भंग करने के साथ ही अंतरिम सरकार का गठन हो गया, जो युवा प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी। कार्की (73 वर्षीय) का चयन राष्ट्रपति, सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल, प्रमुख राजनीतिक दलों और Gen Z नेताओं के बीच लंबी चर्चाओं के बाद हुआ। युवाओं ने डिस्कॉर्ड ऐप पर अनौपचारिक मतदान कर उनका समर्थन किया था।

सुशीला कार्की का जन्म 1952 में पूर्वी नेपाल के मोरंग जिले में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में एमए किया और त्रिभुवन विश्वविद्यालय से विधि स्नातक। 2016 में वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं, जहां उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। उनके कार्यकाल में सूचना मंत्री जय प्रकाश गुप्ता को भ्रष्टाचार के लिए जेल की सजा दी गई, जो नेपाल में एक सिंगिंग मंत्री का पहला मामला था। हालांकि, उनके कार्यकाल में राजनीतिक दबाव के कारण महाभियोग का प्रयास भी हुआ, जो बाद में वापस ले लिया गया।

नेपाल के लोगों की प्रतिक्रिया
नेपाल के लोग सुशीला कार्की को लेकर उत्साहित हैं, खासकर युवा वर्ग। Gen Z प्रदर्शनकारियों ने उन्हें ‘ईमानदार और निष्पक्ष’ नेता के रूप में चुना, जो भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ उनकी छवि से प्रभावित थे। काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह ने सोशल मीडिया पर उनका समर्थन किया, कहा कि कार्की युवाओं की एकता और बुद्धिमत्ता का प्रतीक हैं। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी प्रतिक्रियाएं सकारात्मक हैं, जहां उपयोगकर्ता उन्हें ‘नए नेपाल’ की शुरुआत बता रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, “हम जीत गए! सुशीला कार्की पहली महिला पीएम बनीं, शहीदों को श्रद्धांजलि।”

हालांकि, कुछ लोग सतर्क हैं। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, कई नागरिक चिंतित हैं कि युवा लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था पटरी से न उतर जाए। प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरूआत की थी, जो भ्रष्टाचार विरोध में बदल गया। कार्की ने प्रदर्शन स्थल का दौरा कर घायलों से मुलाकात की और हिंसा को ‘नरसंहार’ कहा, जिससे उनकी लोकप्रियता में बढ़ावा मिला। कुल मिलाकर, नेपालवासी उनसे उम्मीदें बांधे हैं कि वे स्थिरता लाएंगी।

आने वाले समय में चुनौतियां
सुशीला कार्की का कार्यकाल आसान नहीं होगा। रॉयटर्स और बीबीसी के अनुसार, उनकी सरकार को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
• कानून-व्यवस्था बहाल करना: प्रदर्शनों में संसद भवन, मंत्रियों के घर और अन्य सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। सेना अभी भी काठमांडू में तैनात है।
• भ्रष्टाचार की जांच: प्रदर्शनकारियों और हिंसा के जिम्मेदारों पर मुकदमा चलाना, जिसमें पूर्व पीएम के.पी. शर्मा ओली सरकार के सदस्य शामिल हो सकते हैं।
• चुनाव आयोजन: मार्च 2026 तक नई संसद के लिए चुनाव कराना, जो आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के बीच चुनौतीपूर्ण होगा।
• आर्थिक पुनरुद्धार: नेपाल की गरीबी, बेरोजगारी और युवाओं का पलायन रोकना। CNN की रिपोर्ट में कहा गया कि कार्की को ‘नेपो किड्स’ (राजनीतिक भाई-भतीजावाद) के खिलाफ सुधार करने होंगे।
• राजनीतिक दबाव: पूर्व मुख्य न्यायाधीश होने के बावजूद, राजनीतिक दलों से टकराव हो सकता है, जैसा उनके न्यायिक कार्यकाल में हुआ था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कार्की अपनी ईमानदारी बनाए रखेंगी, तो युवाओं का समर्थन मिलेगा, लेकिन विफलता पर नया आंदोलन भड़क सकता है।

पड़ोसी देशों के नेताओं की शुभकामनाएं
सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण पर पड़ोसी देशों के नेताओं ने शुभकामनाएं दीं। भारत ने सबसे तेज प्रतिक्रिया दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, “नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने पर सुशीला कार्की को हार्दिक बधाई। भारत नेपाल के लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है।” विदेश मंत्रालय ने भी स्वागत किया, कहा कि यह बदलाव शांति और स्थिरता लाएगा।

कार्की के भारत से गहरे नाते हैं। BHU की पूर्व छात्रा होने के कारण वे खुद को भारत की ‘मित्र’ बताती हैं। उन्होंने कहा, “मुझे मोदी जी की अच्छी छवि है। भारत ने हमेशा नेपाल की मदद की है।” चीनी और अमेरिकी राजदूतों ने भी शपथ समारोह में उपस्थित होकर बधाई दी। हालांकि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग या बांग्लादेश जैसे अन्य पड़ोसियों से औपचारिक बयान अभी नहीं आया, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, भारत नेपाल के विकास साझेदार के रूप में सहयोग जारी रखेगा।

निष्कर्ष
सुशीला कार्की का नेतृत्व नेपाल के लिए एक मील का पत्थर है, जो महिलाओं की सशक्तिकरण और युवा शक्ति का प्रतीक है। द गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया कि यह ‘जनरेशन जेड क्रांति’ का परिणाम है, जो बांग्लादेश के मुहम्मद यूनुस जैसा है। यदि वे चुनौतियों पर विजय पा जाती हैं, तो नेपाल में नया दौर शुरू हो सकता है। फिलहाल, काठमांडू में शांति लौट रही है, लेकिन भविष्य अनिश्चित है। नेपालवासी आशा बंधे हैं कि उनकी पहली महिला पीएम देश को नई दिशा देंगी।

यह भी पढ़ें: बरेली में दिशा पाटनी के घर पर फायरिंग, गोल्डी बराड़ गैंग ने ली जिम्मेदारी, कहा संतों के अपमान का लिया बदला

यहां से शेयर करें