Mumbai riots/Sanjay Dutt News: बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता संजय दत्त का नाम 1993 के मुंबई सीरियल बम विस्फोटों से जुड़ना भारतीय सिनेमा और कानूनी इतिहास का एक विवादास्पद अध्याय रहा है। संजय दत्त के पास इन हमलों की जानकारी होने के आरोप लगे थे, लेकिन अदालत ने उन्हें मुख्य साजिश से बरी कर दिया। हालांकि, अवैध हथियार रखने के मामले में उन्हें जेल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद कुछ दिनों की जेल अवधि के बजाय लंबी कानूनी लड़ाई चली। इस मामले पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर, हम इसकी पूरी पृष्ठभूमि, गिरफ्तारी, जेल अवधि और रिहाई की कहानी पेश कर रहे हैं। यह घटना न केवल संजय दत्त के जीवन को प्रभावित करने वाली थी, बल्कि बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के गठजोड़ को भी उजागर करती है।
1993 मुंबई बम विस्फोटों की पृष्ठभूमि
12 मार्च 1993 को मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में 12 सीरियल बम विस्फोट हुए, जिसमें 257 लोग मारे गए और 713 से अधिक घायल हुए। ये विस्फोट शहर के प्रमुख स्थानों जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, एयर इंडिया बिल्डिंग, होटलों और बाजारों में हुए। जांच में पता चला कि ये हमले अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन जैसे अपराधियों द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस (दिसंबर 1992) के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए किए गए थे। हथियार और विस्फोटक रेडी (आरडीएक्स) स्मगल करके लाए गए थे, जो मुंबई के तट पर उतारे गए। इस साजिश में 100 से अधिक लोग दोषी ठहराए गए, जिनमें से कई को मौत की सजा सुनाई गई।
संजय दत्त का नाम इस मामले में तब आया जब जांच एजेंसियों ने पाया कि हमलों से जुड़े कुछ आरोपी उनके संपर्क में थे। दत्त ने स्वीकार किया कि उन्हें फिल्म ‘सनम’ के प्रोड्यूसर्स समीर हिंगोरा और हनीफ कादावाला (जो दाऊद के करीबी माने जाते थे) से हथियार मिले थे। लेकिन दत्त ने हमेशा कहा कि उन्हें विस्फोटों की कोई जानकारी नहीं थी और हथियार केवल परिवार की सुरक्षा के लिए गए थे, क्योंकि दंगों के दौरान उन्हें धमकियां मिल रही थीं।
संजय दत्त की गिरफ्तारी और शुरुआती जेल अवधि
19 अप्रैल 1993 को संजय दत्त को टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (टीएडीए) और आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि जनवरी 1993 में अबू सलेम (दाऊद का सहयोगी) ने उनके घर पर तीन एके-56 राइफलें और एक 9 एमएम पिस्टल दी थीं, जो विस्फोटों के लिए स्मगल की गई खेप का ही हिस्सा थीं। दत्त ने कबूल किया कि उन्होंने एक राइफल रखी और बाकी को लौटा दिया, लेकिन विस्फोटों के बाद डर के मारे उन्होंने अपने दोस्त यूसुफ नुलवाला को हथियार नष्ट करने को कहा।
गिरफ्तारी के बाद दत्त को आर्थर रोड जेल में रखा गया। उन्होंने लगभग 18 महीने जेल में बिताए। 5 मई 1993 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी, लेकिन 4 जुलाई 1994 को जमानत रद्द हो गई और वे फिर गिरफ्तार हुए। 16 अक्टूबर 1995 को दोबारा जमानत मिली। इस दौरान दत्त ने कहा कि वे निर्दोष हैं और हथियार केवल सेल्फ-डिफेंस के लिए लिए गए थे। उनके पिता सुनील दत्त (कांग्रेस नेता) ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मदद मांगी, जिससे उनकी रिहाई में सहायता मिली।
लंबी कानूनी लड़ाई और दोषसिद्धि
नवंबर 2006 में टीएडीए कोर्ट ने दत्त को विस्फोटों की साजिश से बरी कर दिया, लेकिन आर्म्स एक्ट के तहत अवैध हथियार रखने का दोषी ठहराया। उन्हें 6 साल की सजा सुनाई गई। 31 जुलाई 2007 को वे फिर जेल गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। 20 मार्च 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने सजा को 5 साल कर दिया और कहा कि अपराध की गंभीरता के कारण प्रोबेशन नहीं दिया जा सकता। दत्त को 4 हफ्तों में सरेंडर करने को कहा गया।
इस फैसले के बाद दत्त ने कहा, “मैं अदालत के फैसले का सम्मान करूंगा। भगवान महान हैं।” उन्होंने पहले ही 18 महीने जेल काट चुके थे, इसलिए बाकी सजा पूरी करने के लिए उन्हें वापस जाना पड़ा। 16 मई 2013 को वे येरवाडा सेंट्रल जेल (पुणे) में सरेंडर हुए। इस दौरान उन्हें कई बार पैरोल मिली – कुल मिलाकर वे जेल की आधी अवधि बाहर रहे। पैरोल को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सवाल किए कि इतनी पैरोल के बावजूद अच्छे आचरण पर छूट क्यों दी गई।
जेल अवधि और रिहाई
संजय दत्त ने कुल 42 महीने जेल में बिताए, लेकिन पैरोल और फर्लो के कारण वास्तविक जेल समय कम था। 25 फरवरी 2016 को वे येरवाडा जेल से रिहा हो गए। रिहाई के समय उन्होंने जेल के बाहर झुककर जमीन चूमा, तिरंगे को सलाम किया और कहा, “मैं 23 साल से आजादी का इंतजार कर रहा था। मैं कोई आतंकवादी नहीं हूं, आर्म्स एक्ट के तहत जेल में था। कृपया मुझे बॉम्बे ब्लास्ट कन्विक्ट न कहें।” उनकी बेटी त्रिशाला ने ट्विटर पर लिखा, “डैड के घर आने का समय आ गया है!”
रिहाई के बाद दत्त ने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था, लेकिन उन्होंने कभी साजिश का हिस्सा नहीं लिया। 2018 में उनकी बायोपिक फिल्म ‘संजू’ रिलीज हुई, जिसमें रणबीर कपूर ने उनका किरदार निभाया। फिल्म ने इस मामले को फिर से चर्चा में ला दिया।
विवाद और राजनीतिक कोण
कई लोगों का मानना है कि दत्त को उनके पिता सुनील दत्त की राजनीतिक पहुंच के कारण विशेष छूट मिली। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि दाऊद इब्राहिम के साथ बॉलीवुड का पुराना नाता था, जहां अंडरवर्ल्ड फिल्मों का फाइनेंस करता था। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि दत्त को विस्फोटों की जानकारी नहीं थी। आज भी यह मामला न्याय व्यवस्था, सेलिब्रिटी स्टेटस और आतंकवाद के बीच में फस कर रह गया है।
संजय दत्त अब 66 वर्ष के हो चुके हैं और फिल्मों में सक्रिय हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि 1993 के हमले भारत के इतिहास का काला अध्याय थे, जिसमें सांप्रदायिक हिंसा और अपराध का घिनौना मेल था।
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