New Delhi/RERA News: केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नई दिल्ली में रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) के तहत गठित केंद्रीय सलाहकार परिषद (सीएसी) की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने एकीकृत रेरा पोर्टल (rera.mohua.gov.in) का शुभारंभ किया, जो रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा सकता है।
इस नए पोर्टल का उद्देश्य रियल एस्टेट से संबंधित सभी हितधारकों—घर खरीदारों, डेवलपर्स, और नियामक प्राधिकरणों—के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है। यह पोर्टल देश भर के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स का एक डिजिटल डेटाबेस उपलब्ध कराएगा, जिसमें प्रोजेक्ट्स के अप्रूवल, निर्माण की प्रगति, और बिल्डरों की विश्वसनीयता जैसी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होगी। इससे घर खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाने और सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
बैठक में केंद्रीय मंत्री खट्टर ने कहा कि यह पोर्टल रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि रेरा ने घर खरीदारों को सशक्त बनाया है और परियोजनाओं के समय पर डिलीवरी को सुनिश्चित किया है। उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से रेरा को पूरी तरह लागू करने का आह्वान किया ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।
पोर्टल के प्रमुख लाभ
एकीकृत रेरा पोर्टल के माध्यम से अब खरीदार देश भर के किसी भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की स्थिति, बिल्डर की विश्वसनीयता, और अन्य जरूरी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यह पोर्टल न केवल पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि राज्यों के बीच साझेदारी और समन्वय को भी प्रोत्साहित करेगा। रेरा अधिनियम के तहत 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल या 8 अपार्टमेंट वाली परियोजनाओं का पंजीकरण अनिवार्य है, और इस पोर्टल के जरिए इनका डेटा एक जगह उपलब्ध होगा।
बैठक में अन्य चर्चाएं
बैठक में महाराष्ट्र सरकार की आवास नीति 2025 पर भी चर्चा हुई, जिसके तहत पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए रेरा से अलग कानून लाने की योजना है। इस प्रस्ताव का फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने कड़ा विरोध किया। एफपीसीई के अभय उपाध्याय ने केंद्र सरकार से इस कदम को रोकने की मांग की, क्योंकि यह रेरा के एकसमान ढांचे को कमजोर कर सकता है और बिल्डरों को अपने फायदे के लिए कानून चुनने का अवसर दे सकता है।
रेरा अधिनियम का महत्व
रेरा अधिनियम, 2016 का उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही, और वित्तीय अनुशासन लाना है। इसके तहत, डेवलपर्स को खरीदारों से प्राप्त 70% धनराशि को एक अलग एस्क्रो खाते में जमा करना अनिवार्य है, जो केवल परियोजना निर्माण के लिए उपयोग हो सकता है। इसके अलावा, परियोजनाओं की समय पर डिलीवरी, कालीन क्षेत्र (Carpet Area) के आधार पर पारदर्शी मूल्य निर्धारण, और संरचनात्मक दोषों के लिए 5 साल की जिम्मेदारी जैसे प्रावधान खरीदारों के हितों की रक्षा करते हैं।
रुकी हुई परियोजनाओं के लिए प्रयास
केंद्र सरकार ने रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए स्वामित्व निवेश कोष (SWAMIH) की स्थापना की है, जिसके तहत 16 नवंबर 2023 तक 37,554 करोड़ रुपये के 342 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इससे लगभग 2,18,699 घर खरीदारों को लाभ होगा और 94,367 करोड़ रुपये की परियोजनाएं अनलॉक होंगी।
आगे की राह
एकीकृत रेरा पोर्टल के लॉन्च के साथ, सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र को और अधिक संगठित और उपभोक्ता-केंद्रित बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है। यह कदम न केवल घर खरीदारों को सशक्त बनाएगा, बल्कि रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में रेरा के कार्यान्वयन को “निराशाजनक” करार दिया है, जिसके बाद सरकार और राज्य प्राधिकरणों पर इसे और प्रभावी बनाने का दबाव बढ़ गया है।
यह पोर्टल और रेरा अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन से उम्मीद है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में धोखाधड़ी कम होगी और घर खरीदना एक सुरक्षित और पारदर्शी प्रक्रिया बनेगी।

