Ahmedabad News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अगस्त 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि “जापानी और गुजराती एक जैसे ही हैं।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। पीएम मोदी ने गुजरात को सुदर्शन चक्रधारी मोहन (भगवान कृष्ण) और चरखाधारी मोहन (महात्मा गांधी) की धरती बताते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने जापानी और गुजराती संस्कृति के बीच समानता पर जोर दिया। इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जबकि बीजेपी नेताओं ने इसका समर्थन किया है।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
अहमदाबाद में विभिन्न विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “गुजरात सुदर्शन चक्रधारी मोहन और चरखाधारी मोहन की धरती है, जिनके दिखाए रास्ते पर चलकर भारत आज सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर हो रहा है।” उन्होंने जापानी और गुजराती संस्कृति की समानता का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों में मेहनत, अनुशासन और परंपराओं का सम्मान समान रूप से देखा जाता है। यह बयान भारत-जापान के बीच बढ़ते आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करने के लिए था, खासकर गुजरात में जापानी निवेश और बुलेट ट्रेन परियोजना के संदर्भ में।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने पीएम मोदी के इस बयान को अवास्तविक और अतिशयोक्तिपूर्ण करार दिया है। कांग्रेस के प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “पीएम मोदी को हर चीज में अतिशयोक्ति करने की आदत है। जापानी और गुजराती संस्कृति में समानता की बात करना हास्यास्पद है। यह सिर्फ गुजरात के लोगों को खुश करने और अपनी छवि चमकाने की कोशिश है।” उन्होंने यह भी कहा कि पीएम का यह बयान देश के अन्य राज्यों और उनकी सांस्कृतिक पहचान को कमतर आंकने जैसा है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इस बयान पर तंज कसा। उन्होंने कहा, “जापानी और गुजराती एक जैसे हैं, तो क्या अब गुजरात में सुशी बेची जाएगी और जापान में खमण-ढोकला? पीएम को ऐसी बयानबाजी छोड़कर बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।”
शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस बयान को सियासी नौटंकी करार दिया। उन्होंने कहा, “यह बयान सिर्फ गुजरात को विशेष दिखाने की कोशिश है, जबकि देश की विविधता को एकजुट करने की जरूरत है। पीएम का यह बयान उनकी क्षेत्रीय राजनीति को उजागर करता है।”
बीजेपी का समर्थन
बीजेपी नेताओं ने पीएम मोदी के बयान का पुरजोर समर्थन किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “पीएम मोदी ने जापानी और गुजराती संस्कृति की समानता को रेखांकित कर भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने का संदेश दिया है। गुजरात में जापानी निवेश और बुलेट ट्रेन परियोजना इसका जीता-जागता उदाहरण है।” उन्होंने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, “विपक्ष को हर बात में नकारात्मकता ढूंढने की आदत है। वे भारत की प्रगति को देख नहीं पाते।”
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी पीएम के बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “गुजरात और जापान के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते गहरे हैं। पीएम ने इसे सही मायनों में उजागर किया है।” बीजेपी की ओर से सोशल मीडिया पर भी इस बयान को खूब प्रचारित किया गया, जिसमें गुजरात को वैश्विक मंच पर भारत की ताकत के रूप में पेश किया जा रहा है।
सियासी मायने
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी का यह बयान 2027 के गुजरात विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर दिया गया है। गुजरात में बीजेपी की मजबूत पकड़ को और सुदृढ़ करने के लिए पीएम ने स्थानीय गौरव और वैश्विक कनेक्शन को जोड़ा है। वहीं, विपक्ष इसे बीजेपी की क्षेत्रीय राजनीति और गुजरात-केंद्रित रणनीति का हिस्सा मानता है। जानकारों का कहना है कि यह बयान भारत-जापान के बीच बढ़ते सहयोग, खासकर आर्थिक क्षेत्र में, को और गति देने का प्रयास भी हो सकता है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का “जापानी-गुजराती एक जैसे हैं” वाला बयान सियासी और सांस्कृतिक बहस का केंद्र बन गया है। जहां बीजेपी इसे भारत-जापान संबंधों और गुजरात की प्रगति से जोड़कर देख रही है, वहीं विपक्ष इसे अतिशयोक्ति और सियासी नौटंकी बता रहा है। इस बयान के दीर्घकालिक प्रभाव गुजरात की राजनीति और भारत-जापान संबंधों पर निर्भर करेंगे।

