सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव विशेषज्ञ को दी राहत, मतदाता सूची पर गलत सूचना का मामला, FIR पर लगी रोक

CSDS/Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची से संबंधित गलत जानकारी फैलाने के आरोप में दायर प्राथमिकी (FIR) के मामले में चुनाव विशेषज्ञ और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के सह-निदेशक संजय कुमार को बड़ी राहत प्रदान की है। कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है।
संजय कुमार पर आरोप था कि उन्होंने 17 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर महाराष्ट्र के नासिक पश्चिम और हिंगणा विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता संख्या में असामान्य वृद्धि का दावा किया था। उनके अनुसार, नासिक पश्चिम में मतदाताओं की संख्या 3,28,053 से बढ़कर 4,83,459 (47.38% वृद्धि) और हिंगणा में 3,14,605 से 4,50,414 (43.08% वृद्धि) हो गई थी। इस पोस्ट के आधार पर विपक्षी नेताओं, खासकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे।

विवाद बढ़ने के बाद संजय कुमार ने 19 अगस्त को अपनी पोस्ट हटाकर माफी मांगी थी। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित मेरे ट्वीट में गलती हुई। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना में हमारी डेटा टीम ने गलत डेटा पढ़ लिया। मेरा गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।”

हालांकि, उनकी माफी के बावजूद, नागपुर और नासिक पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 175, 353(1)(बी), 212 और 340(1)(2) के तहत उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी। इन धाराओं में गलत सूचना फैलाने और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

संजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर FIR को रद्द करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करते हुए आपराधिक कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट का कहना था कि मामले की गहराई से जांच की जरूरत है, और तब तक कार्यवाही को स्थगित रखा जाए।

इस मामले ने न केवल संजय कुमार बल्कि CSDS की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने भी CSDS को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस मामले में कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि संजय कुमार के गलत आंकड़ों के आधार पर विपक्ष ने चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश की।

चुनाव आयोग ने भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मतदाता सूची में किसी भी तरह की गड़बड़ी के आरोप बेबुनियाद हैं। आयोग ने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाता सूची में नए नाम जोड़े गए, जो सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है।
यह मामला भारतीय चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संजय कुमार को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन मामले की जांच और अंतिम फैसला बाकी है।

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