कानपुर में 14 वर्षीय दलित नाबालिग युवती, हुआ सामूहिक बलात्कार, पुलिस पर मामला दबाने का आरोप

Kanpur News : उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के ककवन थाना क्षेत्र में एक 14 वर्षीय दलित नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। यह घटना न केवल एक जघन्य अपराध है, बल्कि पूरे समाज और व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है। पीड़िता और उसके परिवार ने पुलिस पर मामले को दबाने और लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है।
घटना का विवरण

20 अगस्त 2025 की रात करीब 10 बजे, पीड़िता शौच के लिए अपने घर से कुछ दूरी पर खेत में गई थी। परिवार के अनुसार, उनके घर में शौचालय की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में खेतों में जाना पड़ता है। देर रात तक जब लड़की घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। काफी खोजबीन के बाद, वह घर से लगभग 500 मीटर दूर खून से लथपथ और बेहोशी की हालत में मिली। पीड़िता ने होश में आने पर बताया कि गांव के चार युवकों—दीपू यादव, रविंद्र यादव, अरुण उर्फ भोला, और इक्कू यादव—ने उसे खेत में पकड़ लिया और एक पीपल के पेड़ के नीचे ले जाकर सामूहिक बलात्कार किया। आरोपियों ने उसके कपड़े फाड़ दिए और धमकी दी कि यदि उसने किसी को घटना के बारे में बताया, तो उसे जान से मार देंगे।

परिवार के आरोप
पीड़िता के परिवार ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, जब वे घटना की शिकायत लेकर ककवन थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें तुरंत पीड़िता से मिलने नहीं दिया और आठ घंटे तक थाने में बैठाए रखा। मेडिकल जांच के लिए परिवार को ककवन से शिवराजपुर और फिर कल्याणपुर तक भटकना पड़ा। परिजनों का कहना है कि पुलिस ने आरोपियों को जल्दी गिरफ्तार करने में लापरवाही बरती और पीड़िता का बयान बदलवाने का दबाव बनाया। परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की, जिससे उनकी बेटी को न्याय मिलने में देरी हुई।

पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने परिवार की शिकायत पर गैंगरेप, एससी/एसटी एक्ट, और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। अब तक तीन आरोपियों—दीपू यादव, रविंद्र यादव, और अरुण उर्फ भोला—को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि चौथे आरोपी इक्कू यादव की तलाश जारी है। एसीपी बिल्हौर अमरनाथ यादव ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है और पीड़िता की मेडिकल जांच पूरी कर ली गई है। पुलिस ने यह भी दावा किया कि मामले की जांच तेजी से की जा रही है।

सामाजिक और व्यवस्थागत सवाल
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय बनाने का दावा किया गया, लेकिन पीड़िता के परिवार जैसे कई ग्रामीण परिवार आज भी शौचालय की कमी के कारण खुले में शौच के लिए मजबूर हैं, जिससे ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा, पुलिस की लापरवाही और मामले को दबाने की कोशिश ने व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

निष्कर्ष
कानपुर की यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह समाज और व्यवस्था की विफलता को प्रस्तुत कर रही है। दलित समुदाय की नाबालिग लड़की के साथ हुआ यह अत्याचार नारी सुरक्षा, सामाजिक न्याय, और पुलिस की जवाबदेही पर सवाल उठाता है। समाज और प्रशासन को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में कोई और बेटी इस तरह की अमानवीयता का शिकार न हो।

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