Urea/DAP black marketing news: उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में यूरिया और डीएपी जैसी खाद की तस्करी का गोरखधंधा जोरों पर है। जहां एक ओर राज्य के किसान अपनी फसलों के लिए खाद पाने के लिए घंटों लाइनों में खड़े होकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं तस्कर इन खादों को भारत-नेपाल सीमा पार कर 10 गुना कीमत पर बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। यह तस्करी न केवल किसानों के हक पर डाका डाल रही है, बल्कि इसे एक किसान विरोधी अपराध के रूप में देखा जा रहा है।
266 रुपये की यूरिया नेपाल में 1500-2000 रुपये में
भारत में यूरिया की सरकारी कीमत 266.50 रुपये प्रति बोरी (45 किलोग्राम) है, लेकिन नेपाल में यही बोरी 1500 से 2000 रुपये तक में बिक रही है। डीएपी की कीमत भारत में 1350 रुपये प्रति बोरी (50 किलोग्राम) है, जबकि नेपाल में यह 2600-2800 रुपये में बेची जा रही है। तस्कर छोटे-छोटे रास्तों और पगडंडियों का इस्तेमाल कर साइकिल, बाइक और ऑटो रिक्शा के जरिए खाद को सीमा पार पहुंचा रहे हैं। बहराइच, महराजगंज, सीतामढ़ी, अररिया और अन्य सीमावर्ती जिलों में यह खेल खुलेआम चल रहा है।
प्रशासन और विक्रेताओं की मिलीभगत का आरोप
स्थानीय किसानों और कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, यह तस्करी खाद विक्रेताओं, सहकारी समितियों के सचिवों और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। आरोप है कि तस्करों को दुकानों और सहकारी समितियों से निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर खाद आसानी से उपलब्ध हो रही है। उदाहरण के लिए, महराजगंज में तस्करों को 400-500 रुपये प्रति बोरी में यूरिया दी जा रही है, जिसे वे नेपाल में 1300-1600 रुपये में बेच रहे हैं, यानी प्रति बोरी 480-780 रुपये का मुनाफा।
किसानों की परेशानी और प्रशासन की कार्रवाई
खाद की इस तस्करी के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में किसानों को भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। रबी फसल के मौसम में डीएपी और यूरिया की कमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कई जगहों पर किसानों को 300-400 रुपये प्रति बोरी की ऊंची कीमत पर यूरिया खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
प्रशासन ने कुछ मामलों में कार्रवाई की है। बहराइच में 70 बोरी यूरिया जब्त की गई और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। महराजगंज में 50 बोरी खाद बरामद हुई, जबकि सीतामढ़ी में 16 बोरी यूरिया के साथ दो तस्कर पकड़े गए। अररिया में 100 बोरी यूरिया जब्त की गई। हालांकि, ये कार्रवाइयां नाकामयाब साबित हो रही हैं, क्योंकि तस्करी का यह धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा।
क्या कहते हैं अधिकारी?
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने खाद की कालाबाजारी और तस्करी पर सख्ती बरतने की बात कही है। उन्होंने महराजगंज में सहकारी समितियों का औचक निरीक्षण कर यूरिया वितरण की जांच की और कहा कि 1.5 मीट्रिक टन से अधिक खाद खरीदने वाले किसानों की जांच होगी। बहराइच के जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती दुकानों के स्टॉक की नियमित जांच की जा रही है और किसानों के नाम पर बिक्री का ब्यौरा भी चेक किया जा रहा है। फिर भी, स्थानीय लोग और किसान संगठन इस बात से नाराज हैं कि तस्करी पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पा रही है।
किसानों की मांग और चुनौती
किसानों ने मांग की है कि प्रशासन तस्करी पर सख्ती से रोक लगाए ताकि उनकी फसल की बुआई प्रभावित न हो। सोशल मीडिया पर भी लोग इस मुद्दे को उठा रहे हैं, जिसमें प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। तस्करी का यह नेटवर्क इतना सुनियोजित है कि छोटी कार्रवाइयों से इसे तोड़ना मुश्किल हो रहा है। नेपाल सीमा पर खुले रास्ते और स्थानीय स्तर पर मिलीभगत इस समस्या को और जटिल बना रही है।
निष्कर्ष
यूरिया और डीएपी की तस्करी न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि यह सीधे तौर पर किसानों के हितों पर चोट है। उत्तर प्रदेश सरकार को इस दिशा में और सख्त कदम उठाने होंगे, जिसमें सीमा पर निगरानी बढ़ाना, दुकानों और सहकारी समितियों की जवाबदेही तय करना और तस्करों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई शामिल है। जब तक इस मिलीभगत का पर्दाफाश नहीं होगा, तब तक किसानों का खाद के लिए संघर्ष और तस्करों की मुनाफाखोरी जारी रहेगी।

