RSS/Modi News: 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने आरएसएस की 100 साल की यात्रा का जिक्र किया। आरएसएस के “राष्ट्र सेवा” के समर्पण को भी सराहा। यह पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से खुले तौर पर आरएसएस की प्रशंसा की। हालांकि, इस बयान को हाल के घटनाक्रमों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें केंद्र सरकार और आरएसएस के बीच रिश्तों में तनाव की खबरें सामने आ रही हैं।
हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कुछ बयानों से संकेत मिले हैं कि संघ और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रही। भागवत ने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों को लेकर चिंता जताई थी, जिन्हें उन्होंने “सेवा” से “कमर्शियल” क्षेत्र में बदलने की बात कही। इसके अलावा, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी और आरएसएस के बीच नीतिगत मुद्दों, विशेष रूप से आर्थिक नीतियों और सामाजिक एजेंडे को लेकर मतभेद उभरे हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे को लेकर कई पोस्ट्स वायरल हुईं। एक यूजर @DrLaxman_Yadav ने लिखा, “पीएम मोदी का आरएसएस की तारीफ करना एक संकेत है कि अब सत्ता और विचारधारा के केंद्र में आरएसएस को स्थापित किया जा रहा है।” वहीं, @ansarimransr ने दावा किया कि यह तारीफ बीजेपी और संघ के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने की कोशिश का हिस्सा हो सकती है। उन्होंने लिखा, “लाल किले से आरएसएस की तारीफों के पुल बांधने का मतलब है कि दोनों के बीच मामला ठीक नहीं है।”
हालांकि, कुछ अन्य पोस्ट्स में इस तारीफ को सकारात्मक रूप में देखा गया। @MYogiDevnath ने लिखा, “पहली बार लाल किले से संघ की प्रशंसा हुई है। यह गर्व का विषय है कि 100 साल से राष्ट्र सेवा में लगे स्वयंसेवकों को सम्मान मिला।”
विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी का यह बयान न केवल आरएसएस के प्रति उनके व्यक्तिगत लगाव को दिखा रहा है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि बीजेपी और संघ के बीच रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश हो रही है। कुछ का कहना है कि यह कदम 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की अपेक्षित सीटों से कम प्रदर्शन के बाद उठाया गया है, ताकि संघ के समर्थन को और मजबूत किया जाए।
दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस बयान की आलोचना की है। कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कदम संविधान और तिरंगे का विरोध करने वाले संगठन को वैधता प्रदान करने की कोशिश है। @DrLaxman_Yadav ने अपनी पोस्ट में लिखा, “जिस संगठन ने आजादी की लड़ाई से दूरी बनाई, उसे अब देश की दिशा तय करने की कोशिश हो रही है।”
कुल मिलाकर, पीएम मोदी का लाल किले से आरएसएस की तारीफ करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है। यह न केवल बीजेपी-संघ के रिश्तों की मौजूदा स्थिति को दिखाया है, बल्कि भविष्य में देश की राजनीति और विचारधारा की दिशा को लेकर भी कई सवाल खड़े करता है। इस मुद्दे पर चर्चा और बहस अभी जारी है, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कदम केंद्र-संघ के रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है।

