New Delhi News: चीन के विदेश मंत्री वांग यी आज दो दिवसीय भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। इस दौरान वे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक करेंगे। यह मुलाकात आज शाम 6 बजे के आसपास निर्धारित है। यह दौरा भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने और सीमा विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए अहम माना जा रहा है।
वांग यी का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% शुल्क और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने के फैसले ने भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित किया है। इस पृष्ठभूमि में, यह दौरा भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
मुख्य एजेंडा:
• सीमा विवाद: वांग यी मंगलवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भारत-चीन सीमा प्रश्न पर 24वें दौर की विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता करेंगे। यह वार्ता नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए विश्वास-निर्माण उपायों पर केंद्रित होगी। 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था, लेकिन अक्टूबर 2024 में डेमचोक और डेपसांग में सैन्य वापसी के समझौते के बाद संबंधों में सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई है।
• व्यापार और कनेक्टिविटी
दोनों पक्ष सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने, विशेष रूप से लिपुलेख, शिपकी ला और नाथु ला दर्रों के माध्यम से व्यापार, और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बहाल करने पर चर्चा करेंगे। भारत ने हाल ही में चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से शुरू किया है, और कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी पुनर्जनन दिया गया है।
• एससीओ शिखर सम्मेलन की तैयारी
यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा की तैयारियों का हिस्सा है, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए होगी। इस दौरान मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना है।
मंगलवार का कार्यक्रम:
वांग यी मंगलवार को सुबह 11 बजे अजीत डोभाल के साथ सीमा वार्ता करेंगे और शाम 5:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके निवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात करेंगे। यह दौरा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पृष्ठभूमि:
2020 में गलवान घाटी में हुए सैन्य संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंध अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गए थे। तब से दोनों पक्षों ने सतर्कता के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम उठाए हैं। हाल के महीनों में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, चीनी नागरिकों के लिए वीजा फिर से शुरू करना और उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील जैसे कदम इस दिशा में सकारात्मक संकेत हैं।
यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में भी अहम है, खासकर जब भारत-अमेरिका व्यापार तनाव ने नई दिल्ली को बीजिंग के साथ रणनीतिक सहयोग की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया है।
अगले कदम:
वांग यी के भारत दौरे के बाद, उनके काबुल और इस्लामाबाद की यात्रा करने की भी संभावना है, जहां वे पाकिस्तान और तालिबान के विदेश मंत्रियों के साथ त्रिपक्षीय बैठक में भाग ले सकते हैं।
यह दौरा भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने की संभावना रखता है, जिसका क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी, दिल्ली में विदेश मंत्री से करेंगे मुलाकात

