एआई से लैस “हियरिंग ग्लासेस”, क्या सुनने की समस्या का नया समाधान, पढ़िये पूरी खबर

Scotland News: स्कॉटलैंड में वैज्ञानिक एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जो सुनने में अक्षमता से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है। यह तकनीक है “हियरिंग ग्लासेस” की, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करके वास्तविक समय में बातचीत को और स्पष्ट करने में मदद करती है। यह परियोजना हेरियट-वाट यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में चल रही है, जिसमें एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी, नेपियर यूनिवर्सिटी और स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल हैं।
तकनीक का आधार
ये स्मार्ट चश्मे लिप-रीडिंग तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्लाउड कंप्यूटिंग का संयोजन करते हैं। चश्मे में एक छोटा कैमरा लगा होता है, जो बोलने वाले व्यक्ति के होठों की गति को ट्रैक करता है। इसके साथ ही, उपयोगकर्ता के स्मार्टफोन के जरिए ऑडियो और विजुअल डेटा 5G नेटवर्क के माध्यम से एक शक्तिशाली क्लाउड सर्वर पर भेजा जाता है। वहां, एआई तकनीक मुख्य वक्ता की आवाज को अलग करती है और पृष्ठभूमि के शोर को हटा देती है। इसके बाद, शुद्ध की गई आवाज लगभग तुरंत ही उपयोगकर्ता के हियरिंग एड या हेडफोन में वापस भेज दी जाती है।
प्रोजेक्ट की अगुवाई कर रहे प्रोफेसर मथिनी सेलाथुराई के अनुसार, “हम हियरिंग एड को फिर से आविष्कार नहीं कर रहे, बल्कि उन्हें सुपरपावर दे रहे हैं। आप बस कैमरे को उस व्यक्ति की ओर करें या उसकी ओर देखें, जिसे आप सुनना चाहते हैं। भले ही दो लोग एक साथ बोल रहे हों, एआई विजुअल संकेतों का उपयोग करके उस व्यक्ति की आवाज को अलग कर लेती है, जिसे आप देख रहे हैं।”
क्यों है जरूरी?
रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डीफ पीपल के अनुसार, यूके में 12 लाख से अधिक वयस्कों को इतनी गंभीर सुनने की समस्या है कि सामान्य बातचीत उनके लिए मुश्किल हो जाती है। मौजूदा हियरिंग एड्स में शोर-रद्द करने की तकनीक होती है, लेकिन यह कई बार एक साथ कई आवाजों या जटिल पृष्ठभूमि शोर के साथ काम नहीं कर पाती। इस नई तकनीक का उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों में बेहतर सुनने की सुविधा प्रदान करना है।
कैसे काम करती है यह तकनीक?
• लिप-रीडिंग: चश्मे में लगा कैमरा होठों की गति को पढ़ता है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कौन बोल रहा है।
• क्लाउड प्रोसेसिंग: भारी-भरकम डेटा प्रोसेसिंग क्लाउड सर्वर पर होती है, जो स्टॉकहोम जैसे दूरस्थ स्थानों पर भी हो सकती है। 5G की तेज गति के कारण इसमें कोई खास देरी नहीं होती।
• एआई का उपयोग: कृत्रिम बुद्धिमत्ता वक्ता की आवाज को अलग करती है और शोर को हटाकर स्पष्ट ऑडियो प्रदान करती है।
भविष्य की संभावनाएं
शोधकर्ताओं का लक्ष्य 2026 तक इन चश्मों का एक कार्यशील संस्करण तैयार करना है। वे हियरिंग एड निर्माताओं के साथ साझेदारी करके लागत कम करने और इसे अधिक लोगों तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। इस तकनीक का उपयोग न केवल सुनने की समस्या वाले लोगों के लिए, बल्कि तेल रिग, अस्पताल जैसे शोरगुल वाले वातावरण में काम करने वालों के लिए भी हो सकता है। प्रोफेसर सेलाथुराई का कहना है, “यह तकनीक बच्चों और बुजुर्गों सहित सभी के लिए सस्ती और प्रभावी सुनने की सहायता प्रदान कर सकती है।”
अन्य समान तकनीकें
“हियरिंग ग्लासेस” के अलावा, कई अन्य कंपनियां भी सुनने की समस्या को हल करने के लिए स्मार्ट चश्मों पर काम कर रही हैं। उदाहरण के लिए:
• XRAI ग्लासेस: यह तकनीक वास्तविक समय में बातचीत को सबटाइटल्स में बदल देती है, जो चश्मे की लेंस पर दिखाई देती हैं। यह तकनीक विशेष रूप से बधिर समुदाय के लिए उपयोगी है।
• TranscribeGlass: स्टैनफोर्ड और येल के छात्रों द्वारा विकसित, यह चश्मा बातचीत को वास्तविक समय में टेक्स्ट में बदलता है, जिसे चश्मे या फोन पर देखा जा सकता है।
• AirCaps: कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के छात्र निरभय नारंग द्वारा बनाए गए ये चश्मे भी समान रूप से काम करते हैं और $699 की कीमत पर प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध हैं।
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि ये तकनीकें आशाजनक हैं, लेकिन अभी ये प्रोटोटाइप चरण में हैं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने बताया कि शुरुआती संस्करणों में सॉफ्टवेयर की गति धीमी हो सकती है, खासकर अगर कोई तेजी से बोल रहा हो। इसके अलावा, इन चश्मों की कीमत अभी भी अधिक है, जैसे कि XanderGlasses की कीमत $5,000 है, हालांकि कुछ कंपनियां जैसे XRAI मुफ्त बेसिक ऐप और सब्सक्रिप्शन मॉडल की पेशकश कर रही हैं।

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