Devastation of Ganga river in Bhagalpur News: बिहार के भागलपुर जिले में गंगा नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाया है। नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड के इस्माइलपुर-बिंदटोली में बना रिंग बांध मंगलवार को अचानक ध्वस्त हो गया, जिससे आसपास के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। इस घटना ने इलाके में अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश व्याप्त है, क्योंकि बांध के निर्माण और मरम्मत में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं।
बांध टूटने से भयावह स्थिति
जानकारी के अनुसार, गोपालपुर के इस्माइलपुर-बिंदटोली में बना रिंग बांध, जिसकी लागत 44 से 55 करोड़ रुपये बताई जा रही है, गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के दबाव को सहन नहीं कर सका। करीब 200 फीट से अधिक हिस्सा नदी में समा गया। इसके परिणामस्वरूप बुद्धुचक, सैदपुर, पचगछिया, लत्तरा, गोपालपुर, अभिया और डिमाहा जैसे दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। गांवों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो गईं, घर डूब गए, और लोग अपने सामान और जानवरों के साथ सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप, मरम्मत पर सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बांध के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। इस्माइलपुर-बिंदटोली रिंग बांध को 2008 में 44 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, और इस साल इसकी मरम्मत पर 15 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके बावजूद, बांध गंगा के बढ़ते जलस्तर का सामना नहीं कर सका। ग्रामीणों का कहना है कि अगर निर्माण और मरम्मत में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता, तो यह हादसा टाला जा सकता था। कई लोगों ने भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
जलस्तर और कटाव का खतरा
गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 58 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में जलस्तर में कमी देखी गई है, लेकिन अगले 48 घंटों में फिर से बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा, 2001 में विक्रमशिला सेतु के निर्माण के बाद गंगा की धारा में बदलाव के कारण कटाव का खतरा बढ़ गया है। राघोपुर, इस्माइलपुर, बुद्धुचक और ममलखा पंचायतें कटाव के मुहाने पर हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी ने बताया कि प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें नावों के साथ बचाव कार्य में जुटी हैं। बांध की मरम्मत के लिए री-इस्तोरेशन कार्य शुरू किया गया है, लेकिन इसके लिए बांध को पूरी तरह खाली करवाना जरूरी है। प्रशासन ने ग्रामीणों से बांध छोड़ने की अपील की है, लेकिन कई लोग अभी भी बांध पर डटे हुए हैं।
लोगों की मुश्किलें
बाढ़ प्रभावित इलाकों में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया है। स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और कई परिवार बिना भोजन और पेयजल के सड़कों पर रात गुजार रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से राहत सामग्री समय पर नहीं पहुंच रही है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि उनके घरों में चार-पांच फीट तक पानी भर गया है, जिससे चूल्हा जलाना तक मुश्किल हो गया है। पेयजल और शौचालय की कमी ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि फरक्का बैराज और नदी तल पर गाद जमा होने से गंगा उथली हो गई है, जिसके कारण तटबंधों पर दबाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, लगातार बारिश और जलभराव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। बिहार में बाढ़ की समस्या को स्थायी रूप से हल करने के लिए तटबंधों की मजबूती और नदियों की गाद हटाने पर ध्यान देना जरूरी है।
आगे की चुनौतियां
भागलपुर में बाढ़ का कहर हर साल की कहानी है। 2015 में कोसी नदी के तटबंध टूटने के बाद भी मरम्मत कार्य अधूरा रहा, जिसके कारण नवगछिया और आसपास के गांव हर साल जलमग्न हो जाते हैं। इस बार गंगा के रिंग बांध के टूटने से स्थिति और गंभीर हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार हर साल राहत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
निष्कर्ष
भागलपुर में गंगा नदी की बाढ़ और रिंग बांध के टूटने ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी है। हजारों परिवार बेघर हो चुके हैं, और किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं। प्रशासन के राहत कार्यों के बावजूद, ग्रामीणों में असंतोष बढ़ रहा है। जरूरत है कि सरकार बाढ़ प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी नीतियां बनाए, ताकि हर साल होने वाली इस त्रासदी से बचा जा सके।

