नए इनकम टैक्स बिल, पुरानी समस्याएं बरक़रार, क्या आपको रिफंड मिलेगा, पढ़िये पूरी ख़बर

New Income Tax Bill News: लोकसभा ने सोमवार को नए इनकम टैक्स बिल 2025 (इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल, 2025) को मंजूरी दे दी, जो 63 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को बदलने के लिए लाया गया था। इस बिल के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, विशेष रूप से टैक्स रिफंड से संबंधित नियमों में, जिसने करदाताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए जानते हैं कि इस बिल के तहत रिफंड से जुड़े नियम क्या हैं और क्या आपको रिफंड मिलेगा या नहीं। रिफंड से जुड़े प्रमुख बदलाव नए इनकम टैक्स बिल 2025 में रिफंड के नियमों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जो करदाताओं के लिए राहत की खबर लाए हैं। फरवरी 2025 में पेश किए गए मूल बिल में यह प्रस्ताव था कि अगर आयकर रिटर्न (ITR) निर्धारित तारीख के बाद दाखिल किया जाता है, तो करदाता को टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) का रिफंड नहीं मिलेगा। इस प्रस्ताव ने करदाताओं, खासकर उन लोगों में चिंता पैदा कर दी थी, जो समय पर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते थे। देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड मिलेगा अब करदाता निर्धारित तारीख (आमतौर पर 31 जुलाई या विस्तारित तारीख 15 सितंबर) के बाद भी रिटर्न दाखिल करके TDS रिफंड का दावा कर सकते हैं। यह नियम मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के प्रावधानों के अनुरूप है। NIL TDS सर्टिफिकेट की सुविधा जिन करदाताओं की कोई टैक्स देनदारी नहीं है, वे पहले से ‘NIL TDS’ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जिनकी आय करमुक्त सीमा से कम है। TDS करेक्शन का समय घटाया गया TDS करेक्शन स्टेटमेंट दाखिल करने की समय सीमा को छह साल से घटाकर दो साल कर दिया गया है, जिससे करदाताओं की शिकायतें कम होने की उम्मीद की जा रही है। लेकिन एक पुरानी समस्या बरकरार हालांकि नए बिल में देर से रिटर्न दाखिल करने वालों के लिए रिफंड की राह आसान की गई है, लेकिन एक पुरानी समस्या अभी भी बनी हुई है। सिलेक्ट कमेटी ने सुझाव दिया था कि जिन करदाताओं की आय करमुक्त सीमा से कम है, जैसे कि वरिष्ठ नागरिक या कम आय वाले लोग, उन्हें रिफंड के लिए अनिवार्य रूप से रिटर्न दाखिल करने की जरूरत न पड़े। लेकिन नए बिल में यह सुझाव शामिल नहीं किया गया। सेक्शन 433 के तहत, रिफंड का दावा करने के लिए रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है। इसका मतलब है कि जिन लोगों की आय करमुक्त सीमा (4 लाख रुपये तक) से कम है, उन्हें भी TDS रिफंड पाने के लिए रिटर्न दाखिल करना होगा, भले ही उनकी कोई कर देनदारी ही क्यो ना हो। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि यह नियम छोटे करदाताओं, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए अनावश्यक बोझ पैदा करता है। सीए राकेश धनीवाल ने लिंक्डइन पर लिखा, “सिलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट में यह धारणा थी कि छोटे करदाताओं को रिफंड के लिए रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन सेक्शन 433 इसे अनिवार्य बनाए रखता है।” अन्य प्रमुख प्रावधान नया टैक्स स्लैब बिल में नया टैक्स रिजीम पेश किया गया है, जिसमें 4 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, और 24 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30% टैक्स लगेगा। सेक्शन 87A के तहत रिबेट नए टैक्स रिजीम में, 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को 60,000 रुपये तक की रिबेट मिल सकती है, जो पहले 12,500 रुपये थी। यह रिबेट केवल भारतीय निवासियों के लिए है। प्रॉपर्टी आय पर राहत मकान मालिकों के लिए 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन अब म्युनिसिपल टैक्स घटाने के बाद लागू होगा, जिससे गणना में स्पष्टता आएगी। MSME और कॉरपोरेट के लिए लाभ MSME की परिभाषा को MSME एक्ट के साथ जोड़ा गया है, और कॉरपोरेट्स के लिए इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर सेक्शन 80M डिडक्शन को फिर से शामिल किया गया है। क्या है करदाताओं के लिए इसका मतलब? नया इनकम टैक्स बिल 2025 करदाताओं के लिए कई मायनों में राहत लेकर आया है, खासकर देर से रिटर्न दाखिल करने वालों के लिए। रिफंड के लिए लचीलापन और NIL TDS सर्टिफिकेट की सुविधा छोटे करदाताओं और कम आय वालों के लिए फायदेमंद है। हालांकि, रिटर्न दाखिल करने की अनिवार्यता बरकरार रहने से कुछ करदाताओं, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, को असुविधा हो सकती है। कब से लागू होगा? यह बिल 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, जिससे करदाताओं और टैक्स प्रोफेशनल्स को नई व्यवस्था के लिए तैयार होने का समय मिलेगा। विशेषज्ञों की राय टैक्स विशेषज्ञों ने इस बिल की सराहना की है। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, “पेंशन फंड्स और सॉवरेन फंड्स के लिए टैक्स लाभ के प्रस्ताव मौजूदा कानून के समान हैं, लेकिन इन्हें अधिक संरचित और स्पष्ट तरीके से तैयार किया गया है।” ध्रुवा एडवाइजर्स के सीईओ दिनेश कनबर ने कहा, “सिलेक्ट कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार करने से बिल करदाता-अनुकूल और व्यावहारिक बन गया है।” निष्कर्ष नया इनकम टैक्स बिल 2025 रिफंड नियमों में लचीलापन लाकर करदाताओं को राहत देता है, लेकिन रिटर्न दाखिल करने की अनिवार्यता छोटे करदाताओं के लिए चुनौती बनी रह सकती है। अगर आपकी आय करमुक्त सीमा से कम है या आप समय पर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते, तो आपको अब भी रिफंड के लिए रिटर्न दाखिल करना होगा। यह बिल टैक्स प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है, लेकिन कुछ पुरानी समस्याएं अभी भी बरकरार हैं। करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने टैक्स सलाहकारों से संपर्क करें और नवीनतम अपडेट्स के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट (https://www.incometaxindia.gov.in) पर नजर रखें।

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