The dark truth of forced conversion in Pakistan News: पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदू और ईसाई बच्चों, खास तौर पर नाबालिग लड़कियों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण और अपहरण की घटनाओ ने एक गंभीर मानवाधिकार संकट बन चुका हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (एनसीआरसी) की हालिया रिपोर्ट ने इस काले सच को उजागर किया है, जिसमें अल्पसंख्यक बच्चों के साथ हो रहे भेदभाव और उत्पीड़न के चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं।
एनसीआरसी की रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे
एनसीआरसी की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2023 से दिसंबर 2024 तक हत्या, अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और नाबालिग विवाह से जुड़ी 27 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें अधिकांश पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदू और ईसाई बच्चे थे। यह केवल दर्ज मामले हैं, वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। पंजाब प्रांत में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां जनवरी 2022 से सितंबर 2024 के बीच अल्पसंख्यक बच्चों के खिलाफ 40% मामले दर्ज किए गए। इनमें 547 ईसाई, 32 हिंदू, 2 अहमदिया, 2 सिख और 9 अन्य समुदायों के बच्चे शामिल हैं।
नाबालिग लड़कियों का अपहरण और जबरन निकाह
रिपोर्ट में सबसे गंभीर मुद्दा नाबालिग हिंदू और ईसाई लड़कियों के अपहरण और उनके जबरन धर्म परिवर्तन के बाद बड़े मुस्लिम पुरुषों से शादी कराने की परंपरा को बताया गया है। उदाहरण के लिए, सिंध प्रांत में 10 साल की एक हिंदू लड़की को अगवा कर उसका धर्म परिवर्तन करवाया गया और एक अधेड़ व्यक्ति से उसका निकाह करा दिया गया। हालांकि, स्थानीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद उसे बचा लिया गया। एक अन्य मामले में, सिंध के तंदो अल्लाहयार जिले में तीन नाबालिग हिंदू लड़कियों—खेंची कोल्ही, लता मेघवध और मीना मेघवध—का अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया और मुस्लिम पुरुषों से उनकी शादी कर दी गई।
संस्थागत भेदभाव और कानूनी कमियां
रिपोर्ट में बताया गया कि संस्थागत भेदभाव, कानून प्रवर्तन की कमी और सामाजिक दबाव के कारण पीड़ितों को न्याय मिलना मुश्किल है। स्कूलों में धार्मिक समावेश की कमी के कारण हिंदू और ईसाई बच्चों को इस्लामी विषय पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है, जो उनकी शैक्षणिक प्रगति और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा, भ्रष्ट पुलिसकर्मियों द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं, जिससे पीड़ितों के परिवारों को अदालत में न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
सिंध में स्थिति सबसे गंभीर
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में जबरन धर्मांतरण और अपहरण की घटनाएं सबसे अधिक सामने आ रही हैं। हाल ही में, 14 साल की हिंदू लड़की सोहना शर्मा और 17 साल की एक अन्य किशोरी का अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया। एक मामले में, चार हिंदू भाई-बहनों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया, जिसे स्थानीय मीडिया ने “मर्जी से इस्लाम कबूल” के रूप में पेश किया।
मानवाधिकार संगठनों की चिंता
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) और सिंध मानवाधिकार आयोग ने इन घटनाओं की निंदा की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। एचआरसीपी की रिपोर्ट में ईशनिंदा के झूठे आरोपों में अल्पसंख्यकों को फंसाने और उनके खिलाफ हिंसा को भी उजागर किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन और शादी की घटनाओं पर चिंता जताई है।
सामाजिक और सरकारी उदासीनता
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हिंदू समुदाय के कार्यकर्ता शिवा काछी ने बताया कि सिंध में ऐसी घटनाएं एक गंभीर समस्या बन चुकी हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। सामाजिक दबाव और कानूनी कमियों के कारण पीड़ित परिवारों को अक्सर चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बच्चों, विशेषकर हिंदू और ईसाई नाबालिग लड़कियों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण और अपहरण की घटनाएं एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की ओर इशारा कर रही हैं। एनसीआरसी और अन्य मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स ने इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उजागर किया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रभावी कार्रवाई की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पाकिस्तान सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग तेज हो रही है ताकि अल्पसंख्यक बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
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