Delhi News: नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 पेश किया। इसका उद्देश्य निजी अनुदानरहित स्कूलों की फीस प्रणाली को पारदर्शी, पूवार्नुमेय और जवाबदेह बनाना है। विधेयक के अनुसार, फीस निर्धारण के लिए एक तीन-स्तरीय प्रणाली लागू की जाएगी • स्कूल स्तर समिति: सालाना गठन, फीस प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी। • जिला अपीलीय समिति: स्कूल समिति के निर्णयों पर अभिभावकों की अपील सुनेगी। • राज्य पुनरीक्षण समिति: इसका निर्णय अगले तीन शैक्षणिक वर्षों तक मान्य होगा। इन समितियों में स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, निदेशक के प्रतिनिधि और लॉटरी के माध्यम से चुने गए 5 अभिभावक, जिनमें दो महिलाएं और एक एससी/एसटी/पिछड़ा वर्ग से सदस्य होंगे, शामिल रहेंगे।
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फीस न देने पर दंडात्मक कार्रवाई पर रोक
शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि फीस न भरने पर छात्रों पर किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई जैसे नाम काटना, परीक्षा में रोक, मानसिक उत्पीड़न या सार्वजनिक अपमान स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित होगी।
कड़े दंड और निगरानी प्रावधान
- फीस नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल पर प्रति छात्र 50,000 रुपये जुमार्ना लगेगा, जो 20 दिनों बाद दोगुना और फिर तिगुना हो सकता है।
- सामान्य उल्लंघनों पर 10 लाख रुपये तक का जुमार्ना और गंभीर मामलों में स्कूल की मान्यता भी निलंबित की जा सकती है।
- यदि जरूरत पड़ी, तो शिक्षा निदेशक स्कूल का प्रबंधन अपने अधीन ले सकते हैं।
विपक्ष ने जताई आपत्ति
सदन में विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि यह कानून निजी स्कूलों को लाभ पहुंचा सकता है और इसका दुरुपयोग हो सकता है।

