राजस्थान में स्कूल छत ढहने के बाद सरकार पर चौतरफा हमला, जानिए सोशल मीडिया पर कैसे मैसेज हो रहे वायरल

Jhalawara School News: राजस्थान के झालावाड़ा में सरकारी स्कूल में छत ढहने से सात मासूमों की दर्दनाक मौत ने राज्यभर में शोक की लहर फैला दी है, लेकिन इसके साथ ही सोशल मीडिया और विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर सरकार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। इस हृदयविदारक घटना ने जर्जर शैक्षणिक ढांचों और सरकारी स्कूलों की उपेक्षा के मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई प्राकर के मैसेज वायरल हो रहे है। एक्स पर एक एआई से वीडियों बनाया गया है। जिसमें बच्चा सवाल कर रहा है।

यह त्रासदी सिर्फ एक इमारत का ढहना नहीं है, बल्कि यह उन नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करती है जो दशकों से सरकारी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा रही हैं। घटना के तुरंत बाद, लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने गुस्से और निराशा का इजहार करना शुरू कर दिया। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुपों पर #RajasthanSchoolTragedy और ऐसे ही अन्य हैशटैग ट्रेंड करने लगे, जहां यूजर्स ने न केवल शोक व्यक्त किया बल्कि सरकार से जवाबदेही और तत्काल कार्रवाई की मांग भी की।

आम जनता के साथ-साथ विपक्षी दल और शिक्षाविद् भी सरकार को घेरने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त निवेश नहीं कर रही है और स्कूलों के बुनियादी ढांचे को सुधारने में विफल रही है। कई लोगों ने याद दिलाया कि ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं और हर बार प्रशासन केवल लीपापोती करता है, स्थायी समाधान नहीं निकालता। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की दयनीय स्थिति पर विशेष जोर दिया जा रहा है, जहां बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है।

इस घटना ने सरकारी उदासीनता और भ्रष्टाचार के आरोपों को भी हवा दी है। लोगों का सवाल है कि आखिर क्यों स्कूलों के मरम्मत और रखरखाव के लिए आवंटित फंड का उचित उपयोग नहीं हो पाता? क्या यह लापरवाही है या मिलीभगत? कई अभिभावकों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें अपने बच्चों को ऐसे असुरक्षित स्कूलों में भेजने में डर लगता है। सरकार की तरफ से त्वरित जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आश्वासन दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और मुआवजे की भी घोषणा की है। हालांकि, जनता में यह धारणा बन रही है कि ये केवल तात्कालिक प्रतिक्रियाएं हैं और मूल समस्या का समाधान नहीं किया जाएगा। लोग अब केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हैं, वे धरातल पर बदलाव देखना चाहते हैं। इस घटना ने शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता को रेखांकित किया है और सरकार पर यह दबाव बढ़ा दिया है कि वह न केवल इस मामले में न्याय सुनिश्चित करे, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

 

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