How is land allotted in Noida: यदि आप नोएडा में मकान, दुकान और फैक्टरी बनाना चाहते हैं तो ये जरूरी है कि आपको पता होना चाहिए कि प्राधिकरण किस तरह से भूमि आवंटित करता है। उसके क्या नियमों होते है और किस तरह की प्रक्रिया से आपको गुजरना पड़ता है। बता दें कि भूखंड आवंटन के लिए नोएडा प्राधिकरण के नियम प्राधिकरण द्वारा भूखंडों का आवंटन एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना है। यह पूरी प्रक्रिया में विभिन्न चरणों और कड़े नियमों के समूह से बंधी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवंटन निर्धारित मानदंडों के अनुसार हो।
आवंटन के तरीके
नोएडा प्राधिकरण मुख्य रूप से दो तरीकों से भूखंडों का आवंटन करता है: योजना आधारित आवंटन और ओपन-एंडेड योजनाएं। योजना आधारित आवंटन तब होता है जब प्राधिकरण किसी विशेष उद्देश्य (जैसे आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, संस्थागत आदि) के लिए भूखंडों का एक सेट जारी करता है। इन योजनाओं के तहत, भूखंडों का आवंटन आमतौर पर लॉटरी प्रणाली या बोली प्रक्रिया (e-auction) के माध्यम से किया जाता है। लॉटरी प्रणाली छोटे भूखंडों और आवासीय उद्देश्यों के लिए अधिक प्रचलित है, जबकि बड़े भूखंडों और वाणिज्यिक या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए बोली प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है ताकि अधिकतम राजस्व प्राप्त किया जा सके। ओपन-एंडेड योजनाएं वे होती हैं जो विशेष अवधि के लिए नहीं होतीं और भूखंडों की उपलब्धता के आधार पर आवेदन स्वीकार किए जाते हैं।
आवेदन प्रक्रिया और पात्रता
भूखंड आवंटन के लिए इच्छुक आवेदकों को प्राधिकरण द्वारा जारी की गई संबंधित योजना के तहत आवेदन करना होता है। आवेदन पत्र प्राधिकरण की वेबसाइट या निर्धारित कार्यालयों से प्राप्त किए जा सकते हैं। आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेजों की एक सूची संलग्न करनी होती है, जिसमें पहचान प्रमाण, पता प्रमाण, आय प्रमाण (यदि आवश्यक हो), और अन्य संबंधित दस्तावेज शामिल होते हैं। आवेदकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे प्राधिकरण द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हों। इन मानदंडों में आमतौर पर आवेदक की नागरिकता, आयु, और कुछ मामलों में पहले से कोई भूखंड आवंटित न होने जैसी शर्तें शामिल होती हैं। एक आवेदक केवल एक ही आवेदन कर सकता है और कई आवेदन करने पर उसके सभी आवेदन रद्द कर दिए जाते हैं।
वित्तीय नियम और भुगतान प्रक्रिया
आवंटित भूखंड की लागत का भुगतान प्राधिकरण द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर करना अनिवार्य होता है। सामान्यतः, आवेदन के समय एक पंजीकरण शुल्क या बयाना राशि (earnest money) जमा करनी होती है। सफल आवंटन के बाद, आवेदक को एक निश्चित अवधि के भीतर भूखंड की कुल कीमत का एक बड़ा हिस्सा (जैसे 25% या 50%) जमा करना होता है, और शेष राशि को प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किश्तों में चुकाया जा सकता है। इन किश्तों पर अक्सर एक निश्चित ब्याज दर लागू होती है। भुगतान में देरी होने पर विलंब शुल्क लगाया जाता है, और अत्यधिक देरी के मामले में आवंटन रद्द भी किया जा सकता है। प्राधिकरण के पास यह अधिकार होता है कि वह भुगतान की शर्तों और कीमतों को अपनी नीतियों के अनुसार संशोधित कर सके।
रद्दीकरण और समर्पण के नियम
यदि कोई आवंटी आवंटित भूखंड को रद्द करना चाहता है, तो उसे प्राधिकरण द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा। रद्दीकरण के मामले में, जमा की गई राशि का एक हिस्सा जब्त कर लिया जाता है, और शेष राशि वापस कर दी जाती है। जब्त की जाने वाली राशि आमतौर पर रद्दीकरण के समय और आवंटन की शर्तों पर निर्भर करती है। इसी प्रकार, यदि कोई आवंटी भूखंड को समर्पण करना चाहता है, तो उसे भी नियमों का पालन करना होगा। प्राधिकरण के पास यह अधिकार होता है कि यदि आवंटी नियमों का उल्लंघन करता है, जैसे कि समय पर भुगतान न करना, भूखंड का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए न करना, या गलत जानकारी देना, तो आवंटन को रद्द कर दे। ऐसे मामलों में, प्राधिकरण द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार जमा की गई राशि का एक हिस्सा या पूरी राशि जब्त की जा सकती है।
भूखंड का उपयोग और निर्माण नियम
आवंटित भूखंड का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जा सकता है जिसके लिए उसे आवंटित किया गया है (उदाहरण के लिए, आवासीय भूखंड का उपयोग केवल आवासीय उद्देश्यों के लिए)। भूखंड पर निर्माण कार्य प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित भवन उपनियमों और मास्टर प्लान के अनुसार ही किया जाना चाहिए। आवंटी को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर निर्माण कार्य पूरा करना होता है, और यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या विशेष परिस्थितियों में आवंटन रद्द भी किया जा सकता है।
हस्तांतरण और लीज के नियम
भूखंड के आवंटन के बाद, एक निश्चित अवधि तक इसका हस्तांतरण (transfer) या पट्टा (lease) नहीं किया जा सकता है। प्राधिकरण आमतौर पर एक लॉक-इन अवधि निर्धारित करता है जिसके बाद ही भूखंड का हस्तांतरण संभव होता है। हस्तांतरण की अनुमति मिलने पर भी, प्राधिकरण से पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक होती है, और इस पर हस्तांतरण शुल्क (transfer charges) लागू होते हैं। इन सभी नियमों का पालन करना भूखंड आवंटन प्रक्रिया की सफलता और न्यायसंगतता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे नोएडा प्राधिकरण यह सुनिश्चित करता है कि सभी आवंटन उचित तरीके से हों और विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।

