Germany News: यूरोप में इस साल जून में पड़ी रिकॉर्डतोड़ गर्मी ने जर्मनी के मशहूर ऑटोबान सहित कई हाईवे को बुरी तरह प्रभावित किया है। रिकॉर्ड तोड़ तापमान के कारण सड़कों का डामर पिघल गया, जिससे कई जगहों पर हाईवे टूट गए और उनमें दरारें पड़ गईं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इन क्षतिग्रस्त सड़कों पर तेज रफ्तार से वाहन चलाना प्राण घातक साबित हो सकता है।
जर्मनी के कुछ हिस्सों में जून 2025 में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया, जो सामान्य से कहीं अधिक रहा। इस भीषण गर्मी की वजह से डामर की सतह नरम होकर पिघल गई, जिससे सड़कों में गड्ढे और दरारें बन गईं। खासकर ऑटोबान, जो अपनी उच्च गति के लिए विश्व प्रसिद्ध है, इस गर्मी की चपेट में बुरी तरह प्रभावित हुआ। कई जगहों पर सड़कों की सतह धंस गई, जिससे वाहनों के लिए खतरा बढ़ गया।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति “हीट डोम” के कारण उत्पन्न हुई, जिसमें उच्च दबाव वाला क्षेत्र गर्म हवा को नीचे दबाए रखता है, जिससे तापमान और बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी चरम मौसमी घटनाएं अब अधिक तीव्र और बार-बार हो रही हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और भी प्राण घातक हो सकती हैं।
जर्मनी की परिवहन एजेंसियों ने प्रभावित सड़कों पर मरम्मत का काम शुरू कर दिया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि पूरी तरह बहाली में समय लगेगा। तब तक, ड्राइवरों को सलाह दी गई है कि वे क्षतिग्रस्त हाईवे पर सावधानी बरतें और गति सीमा का पालन करें। कुछ क्षेत्रों में गति सीमा को अस्थायी रूप से कम कर दिया गया है ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
जर्मन सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन उपायों की घोषणा की है। सड़कों को गर्मी प्रतिरोधी बनाने के लिए नए डामर और हल्के रंग के कंक्रीट के मिश्रण का उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है, जो गर्मी को कम सोखते हैं। इसके अलावा, भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ दीर्घकालिक कदम उठाने पर जोर दिया जा रहा है।
यह गर्मी न केवल सड़कों, बल्कि आम जनजीवन को भी प्रभावित कर रही है। जून में यूरोप में गर्मी की लहर के कारण 2300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 65% मौतें जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को गर्मी से बचने के लिए हाइड्रेशन, हल्के कपड़े और धूप से बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दी है।
जर्मनी के ऑटोबान जैसे बुनियादी ढांचे को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।

