सौर ऊर्जा पर यूपी सरकार का ज़ोरः पर्यावरण के साथ साथ बजट फ्रेंडली, जानिए क्या है सौर उर्जा

UP Government Solar energy News:  आजकल उत्तर प्रदेश सरकार लगातार सौर ऊर्जा पर ज़ोर दे रही है। सौर ऊर्जा के सेल बनाने की कंपनियां अधिक से अधिक यूपी में लगाई जाए, इस को लेकर योगी सरकार ने कई प्रकार के आकर्षित नियम बनाएँ। इतना ही नहीं जमीन के साथ साथ स्टाफ ड्यूटी पर छूट दी जा रही है। चलिए बताते है कि सौर उर्जा क्या है और इसका उपयोग कैसे हो रहा है।

सौर ऊर्जा, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा है जिसे विभिन्न तकनीकों के माध्यम से बिजली या ऊष्मा में बदल दिया जाता है। यह मूल रूप से सूर्य के प्रकाश (फोटॉन) को सीधे बिजली में बदलने की प्रक्रिया है, जिसे फोटोवोल्टिक (PV) तकनीक कहा जाता है, या सूर्य की गर्मी का उपयोग करके पानी को गर्म करने या बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है, जिसे सौर तापीय ऊर्जा कहते हैं। यह एक स्वच्छ, असीमित और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो प्रदूषण रहित होता है और एक बार स्थापित होने के बाद, इसका संचालन पर्यावरण के लिए लगभग कोई हानिकारक उत्सर्जन नहीं करता।आने वाले समय में सौर ऊर्जा पर्यावरण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और पेट्रोलियम के जलने से निकलने वाली हानिकारक गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण हैं। सौर ऊर्जा के उपयोग से इन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन लगभग शून्य हो जाता है, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है और वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने में मदद मिलती है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा जल संरक्षण में भी सहायक है, क्योंकि पारंपरिक ताप विद्युत संयंत्रों की तुलना में इसे बिजली उत्पादन के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। यह जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करेगा, जिससे ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी और पर्यावरणीय आपदाओं का जोखिम कम होगा।

शांतिपूर्ण वातावरण बनाने में योगदान
बता दें कि सौर ऊर्जा प्रणालियाँ शोर प्रदूषण भी उत्पन्न नहीं करती हैं, जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने में योगदान देती हैं। कुल मिलाकर, सौर ऊर्जा एक स्थायी भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो स्वच्छ हवा, कम कार्बन फुटप्रिंट और एक स्वस्थ ग्रह सुनिश्चित करती है। उत्तर प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कदम उठा रही है ताकि राज्य में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी बेहतर बनाया जा सके। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 के तहत अगले पांच वर्षों में 22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसमें सौर पार्कों से 14,000 मेगावाट, आवासीय छतों से 4500 मेगावाट, गैर-आवासीय छतों से 1500 मेगावाट और पीएम कुसुम योजना के तहत 2000 मेगावाट का लक्ष्य शामिल है। सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए ग्राम पंचायत और राजस्व भूमि को ₹1 प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से उपलब्ध करा रही है, जबकि निजी क्षेत्र के लिए 30 साल के पट्टे पर ₹15,000 प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से भूमि उपलब्ध कराई जा रही है।राज्य सरकार आवासीय उपभोक्ताओं को ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा प्रणालियों पर केंद्र सरकार की सब्सिडी के अतिरिक्त ₹15,000 प्रति किलोवाट, अधिकतम ₹30,000 प्रति उपभोक्ता की राज्य अनुदान भी दे रही है।
नेट मीटरिंग के साथ बढावा
सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों की इमारतों पर भी नेट मीटरिंग के साथ सौर छत प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत सब्सिडी का प्रावधान है। सौर ऊर्जा इकाइयों की स्थापना के लिए खरीदी या पट्टे पर ली गई भूमि पर स्टाम्प शुल्क में 10ः और बिजली शुल्क में 10 वर्ष तक की छूट दी जा रही है। उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी को इस नीति के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। अयोध्या को एक मॉडल सौर शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है, और राज्य के 16 अन्य नगर निगमों के साथ नोएडा को भी सौर शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को भारत का पहला सौर-ऊर्जा संचालित एक्सप्रेसवे बनाने की पहल की गई है। सरकार 30,000 युवाओं को सूर्य मित्र के रूप में प्रशिक्षित कर रही है ताकि सौर ऊर्जा संयंत्रों के रखरखाव और संचालन के लिए आवश्यक जनशक्ति तैयार की जा सके। यह न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाएगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा, जिससे राज्य के आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों पहलुओं में सुधार होगा।

 

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