यूपी में बीजेपी के सामने होगा सपा-बसपा गठबंधन

एकला चलो की नीति पर आगे बढ़ेगी कांग्रेस, सूबे में संगठन को देगी धार

नोएडा। तीन बड़े हिंदी भाषी प्रदेशों में प्रचम लहराने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। वह अकेले ही बीजेपी को घेरने में जुट गई है। हालांकि महागठबंधन की संभावना अभी भी बराबर बनी हुई है। लेकिन यूपी में जो रणनीति बन रही है उसके मुताबिक बीजेपी के सामने कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन सामने होंगे।

ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस और सपा-बसपा यह कतई नहीं चाहती कि उनका कोई भी वोट छिटककर बीजेपी के पाले में चला जाए। यही कारण है कि नीति यह है कि सपा और बसपा से वोट छिटके तो कांग्रेस में चला जाए और कांग्रेस से नाराज मतदाता सपा-बसपा में आ जाए। यानि कोई भी ऐसा वोट जो अनिश्चितता में है वह बीजेपी को न जा पाए।

सपा-बसपा और कांग्रेस तीनों ही रणनीति बनाने में जुट गए हैं। जिससे माना जा रहा है कि अब यूपी राजनीतिक अखाड़ा बनेगी। ऐसा होगा तो जाहिर है मुद्दा राम मंदिर होगा। बीजेपी इसी मुद्दे को लेकर आगे बढ़ सकती है। जबकि सपा-बसपा और कांग्रेस अलग-अलग बीजेपी सरकार की नाकामियों और वादाखिलाफियों को मतदाताओं तक पहुंचाएंगे।

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में इस वक्त किसानों की कर्ज माफी, बेराजगारी, भ्रष्टïाचार, शिक्षा, चिकित्सा आदि ऐसे मुद्दे हैं जिनपर विपक्ष ने हावी होना शुरू कर दिया है।

जहां तक कांग्रे्रस का सवाल है तो उसने उत्तर प्रदेश में पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा करने की कवायद शुरू कर दी है। ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पदों की संख्या बढ़ा कर न केवल उन्हें संतुष्टï किए जाने का प्रस्ताव है बल्कि उनकी जिम्मेदारी बढ़ाने की भी तैयारी है।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस सूबे में नए समीकरण के तहत यूपी को चार भागों में बांट कर एक अध्यक्ष के साथ-साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के पक्ष में है। इसी तरह जिले व महानगरों में भी अध्यक्ष के साथ-साथ कार्यकारी अध्यक्ष जोड़े जाने की रणनीति पर पार्टी हाईकमान काम कर रहा है।

33 फीसदी आरक्षण के लिहाज से कांग्रेस हाईकमान महिलाओं को भी सम्मान देने की रणनीति पर काम चल रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस इस बार अपने दम पर ही बीजेपी को पटखनी देना चाहती है।

उधर, बीजेपी की तैयारी देखी जाए तो आरएसएस धरातल पर काम करती दिख रही है। बीजेपी के बाकी सहयोगी दल राम मंदिर या धार्मिक मुद्दों को ही धार बनाने में जुटे हैं।

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