new delhi news दिल्ली सरकार ने बरसों से अटकी पड़ी बरापुला फेज-3 फ्लाईओवर परियोजना को इस साल दिसंबर तक पूरा करने का संकल्प लिया है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने सोमवार को परियोजना स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और शेष कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि दिसंबर 2025 तक इस फ्लाईओवर को चालू करने का लक्ष्य है। यह दिल्ली के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जो पिछले कई वर्षों से अनदेखी और लापरवाही का शिकार रही है। बरापुला फेज-3 परियोजना पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 को दक्षिणी दिल्ली स्थित एम्स से जोड़ने के लिए विकसित की जा रही है। यह फ्लाईओवर सराय काले खां के पास मौजूदा बरापुला कॉरिडोर से जुड़ेगा, जिससे पूर्व-पश्चिम दिल्ली के बीच सफर तेज और सुगम होगा। इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली में यातायात की भीड़भाड़ को कम करना और आवागमन को बेहतर बनाना है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, परियोजना का लगभग 89 फीसद कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि, शेष कार्य पेड़ों के स्थानांतरण के लिए वन विभाग की स्वीकृति के अभाव में रुका हुआ है। करीब 250 पेड़ों को हटाने और स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जिसके लिए स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
परियोजना में देरी का मुख्य कारण पिछली सरकार की उदासीनता रही
मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने स्पष्ट किया कि परियोजना में देरी का मुख्य कारण पिछली सरकार की उदासीनता रही है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने समय पर ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया और न ही पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की। नतीजतन, यह महत्वपूर्ण परियोजना वर्षों तक अटकी रही और लागत भी कई गुना बढ़ी। मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने बताया कि भाजपा सरकार अब पेड़ों के स्थानांतरण के लिए आवश्यक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए वन विभाग से सक्रिय रूप से समन्वय कर रही है। वन विभाग से आवश्यक स्वीकृतियां शीघ्र ही मिलने की उम्मीद है। इसके बाद परियोजना के अंतिम चरण का कार्य जल्द शुरू होगा। यह परियोजना 2014 में स्वीकृत हुई थी और 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसे 2017 में पूरा किया जाना था, लेकिन पिछली सरकार की लापरवाही, विभागीय समन्वय की कमी और प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण यह लगातार टलती रही। परियोजना के लिए समय-समय पर स्वीकृतियों में देरी और अन्य तकनीकी अड़चनें रुकावट का कारण बनीं।
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