पुलिस के निशाने पर बदमाशों का उल्टा पैर
जिले में पुलिस एक के बाद एक एनकाउंटर कर रही है। सभी एनकाउंटर में एक ही कहानी है, बदमाशों का उल्टे पैर में गोली लग रही है। ऐसा लग रहा है पुलिस को थाने में नहीं बल्कि निशानेबाजी की प्रतियोगिता में जाना चाहिए। जिस तरह से अंधेरा होने के बाद भी पुलिस की गोली बदमाश के उल्टे पैर में लग रही है उससे यही सिद्ध होता है। बदमाशों में खौफ बनने की बजाए लूट, चोरी जैसी वारदातें को अंजाम दे रहे हैं। धड़ाधड़ हो रहे एनकाउंटर से पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सभी थानों में पुलिस की रटी-रटाई थ्योरी दोराई जा रही है। एनकाउंटर के बाद पुलिस दावा करती है कि वह चेकिंग कर रही थी तभी बाइक पर आते हुए बदमाश दिखाई दिए। रुकने का इशारा किया तो बदमाश गोली चलाते हुए भागने लगे। पुलिस ने जवाबी कार्यवाही करते हुए एक बदमाश के उल्टे पैर में गोली मार दी, जबकि एक बदमाश भागने में कामयाब रहा। किसी भी मामले में उठाकर देखें तो पुलिस की यही थ्योरी हर एनकाउंटर में रहेगी। आखिर एक ही तरीके से एनकाउंटर क्यों हो रहे हैं? इस मामले में अब पुलिस अधिकारी घेरे में आ रहे हैं। कई लोगों ने आरटीआई लगा कर पूछा है कि पुलिस आखिरकार उल्टे पैर में ही गोली क्यों मार रही है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी पोर्टल आइजीआरएस पर एक व्यक्ति ने पुलिस को कहा है कि जितने भी एनकाउंटर हो रहे हैं इनकी जांच दूसरी पुलिस से कराई जाए ताकि निष्पक्षता सामने आए। सवाल है कि अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए एनकाउंटर हो रहे हैं मगर उनमें डर क्यों नहीं है। पिछले एक सप्ताह में दर्जनों लूट की वारदातें हो चुकी हैं। इतना ही नहीं कई हत्याएं भी हो चुकी हैं। इन मामलों में पुलिस द्वारा खुलासा करना तो दूर अपराधियों तक पहुंच भी नहीं पाई है। इस वक्त सभी थाना प्रभारियों पर बदमाशों के एनकाउंटर करने का दबाव है। यही कारण है कि पुलिस अपनी रटी-रटाई थ्योरी से अलग सोच पाने में बेबस दिखाई दे रही है।