Noida Authority: स्पोर्ट सिटी आवंटन में बड़ा भ्रष्टाचारः अब इन आईएएस अफसरों पर चलेगा सीबीआइ का चाबुक

CBI raids in Delhi:

Noida Authority: नोएडा सेक्टर 150 में स्पोर्ट्स सिटी में भ्रष्टाचार और घपले घोटाले की परतेें खुल रही है। इसके चलते अब रडार पर 10 आईएएस अफसर हैं जिनमें से कुछ रिटायर्ड भी हो चुके है। ये सभी अफसर नोएडा प्राधिकरण में सीईओ के पद पर रह चुके हैं। इनमें से कई की नोएडा में दो से तीन बार तक तैनाती रही है। इसके अलावा एसीईओ व प्लानिंग विभाग में तैनात रहे अफसर भी जांच की जद में आ रहे हैं। होने वाली एफआईआर में किसके नाम होंगे, यह अहम रहेगा। मालूम हो कि हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई मामले की जांच कर रही है। आज सीबीआई टीम दोबारा प्राधिकरण दफ्तर पहुंच सकती है। कोर्ट ने सीबीआई को प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों और बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए कहा है।
यहाँ ये बात जानना भी बेहद जरूरी है कि जिस वक्त ये गडबड हो रही थी उस दौरान नोएडा प्राधिकरण में कौन कौन आईएएस अफसर सीईओ और एसीईओ के पद पर तैनात थे। चलिए बताते हैं…
प्राधिकरण में 15 सितंबर 2005 से 16 मई 2007 के बीच संजीव सरन सीईओ रहे। उनकेे बाद मोनिका गर्ग, बलविंदर कुमार, ललित श्रीवास्तव (अतिरिक्त प्रभार), मोहिंदर सिंह सीईओ बनकर आए और काफी समय तक रहे। 1 जनवरी 2010 से 19 जुलाई 2011 के बीच मोहिंद सिंह अध्यक्ष रहे। इसके बाद 14 दिसंबर 2010 को रमारमण सीईओ बने। उनके बाद 19 जुलाई 2011 से 1 नवंबर 2011 के बीच बलविंदर कुमार चेयरमैन के साथ साथ सीईओ भी रहे। 1 नवंबर से 2 नवंबर 2011 के बीच मोहिंदर सिंह चेयरमैन-सीईओ रहे। 2 नवंबर से 20 नवंबर 2011 के बीच जीवेश नंदन सीईओ रहे, फिर रमारमण, एसके द्विवेदी सीईओ बने। 1 नवंबर 2011 से 20 मार्च 2012 तक मोहिंदर सिंह फिर अध्यक्ष बने। 17 मार्च 2012 से 4 मई तक अनिल राजकुमार के पास सीईओ का प्रभार रहा। 20 मार्च से 5 मई 2012 के बीच अनिल राजकुमार के पास अध्यक्ष का प्रभार रहा। वहीं 4 मई 2012 से 21 जनवरी 2013 के बीच संजीव सरन सीईओ रहे। फिर रमारमण सीईओ बने थे। इसके बाद आलोक टंडन को सीईओ बनाया गया था।
अफसरों में मची खलबली
बता दें कि प्राधिकरण के पूर्व अफसरों में खलबली मची है। स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में प्रारूप से लेकर सीएजी की ऑडिट आपत्तियों का दायरा 2007 से 2017 के बीच का है। इस दौरान परियोजना लाई गई और बिल्डरों के लिए कई बदलाव किए गए। सेक्टर-78, 79, 101, 150, 152 में चारों बड़े प्लॉट के सब-डिविजन को मंजूरी दी गई। बिल्डरों से बकाया नहीं जमा कराया गया और न ही प्रोजेक्ट के ब्रोशर में शामिल खेल सुविधाएं विकसित हुईं। ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के नक्शे पास करने और फ्लैटों के ओसी-सीसी तक दिए गए। आखिर ये सब आंख बंद करके अफसर क्यों करते रहे। इन सब पर न तो रोक लगी और न ही बिल्डरों पर कोई कार्रवाई हुई।

ऐसे बदलता चला गया पूरा प्लान
25 जून 2007 को नोएडा प्राधिकरण की 145वीं बोर्ड बैठक में लगभग 311.60 हेक्टेयर जमीन पर स्पोर्ट्स फेसिलिटी डेवलप करने के लिए स्पोर्ट्स सिटी परियोजना प्रस्तावित की गई थी। 8 अप्रैल 2008 को हुई बैठक में इस परियोजना को भू-उपयोग निर्धारित करने के साथ अनुमोदन दिया गया। 2011 में इस परियोजना में बिल्डर कंपनियों के लिए नेटवर्थ और टर्नओवर को मंजूरी दी गई थी। 2021 में नोएडा प्राधिकरण ने बकाया नहीं जमा होने और नियम शर्तो का पलान नही होने पर कार्रवाई क्यों नही की गई।

 

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