Noida Amrapali Zodiac project Case: नोएडा में बने आम्रपाली जोडिएक प्रोजेक्ट के फ्लैट बायर्स को अगर निश्चित समय पर उनका घर नहीं दिया गया तो बिल्डर-बायर एग्रीमेंट के तहत फ्लैट खरीदारों को मुआवजा यानी डिले कंपनसेशन देना होगा। इस मामले में आम्रपाली प्रोजेक्ट के बिल्डर की ओर से फ्लैट बायर्स के साथ एग्रीमेंट हुआ था। बिल्डर की ओर से कहा गया था देरी मुआवजा का भुगतान बिल्डर करेगा। ऐसे में इस धनराशि को काटकर लोगों ने पूरा भुगतान कर दिया था। अब रजिस्ट्री के समय कोर्ट रिसीवर की ओर से यह भुगतान मानने से इन्कार किया जा रहा है। देरी मुआवजा वाला भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे में रजिस्ट्री के बिना ही फ्लैट खरीदारों की फाइल वापस की जा रही है।
पूर्व एओए अध्यक्ष बोले
सोसाइटी के पूर्व एओए अध्यक्ष गौरव असाती ने बताया कि सोसाइटी का प्रोजेक्ट 2009-10 में लॉन्च हुआ था। इस दौरान बिल्डर ने जून 2012 में कब्जा देने के लिए कहा था लेकिन पजेशन 2014 में मिलना शुरू हुए। ऐसे में दो वर्ष देरी से पजेशन मिलने पर डिले कंपनसेशन के नाम से बिल्डर ने भुगतान करने लिखित में पत्र दिया जाएगा एनजीटी की फट के हमें 2012 में फ्लैट में पजेशन मिलना था लेकिन 2013 के आखिर में करीब सवा साल बाद मिला। देरी मुआवजा का करीब एक लाख 23 हजार रुपये का भुगतान बिल्डर को हमें करना था, बिल्डर ने इसे रजिस्ट्री में एडजस्ट करवाने को कहा था, लेकिन अब कोर्ट रिसीवर इस शुल्क को मान नहीं रहे और शुल्क हमें जमा करने को कहा गया है। गौरव असाती ने बताया कि देरी मुआवजा के तहत बिल्डर से हुए एग्रीमेंट की कॉपी भी फ्लैट खरीदारों के पास उपलब्ध है, लेकिन इस बार कोर्ट रिसीवर ने देरी मुआवजा के एडजस्टमेंट वाली फाइलों को वापस कर दिया है। इस संबंध में हमने कोर्ट रिसीवर की टीम के साथ एक बैठक भी की है। इस पर उन्होंने हमसे लिखित में पत्र देने को कहा है।
बिल्डर से बात होने पर जमा की थी धनराशि
बिल्डर से बात होने के बाद यह शुल्क काटकर हमने फाइनल भुगतान कर दिया था। अब रजिस्ट्री के समय कोर्ट रिसीवर ने यह शुल्क मानने से इन्कार करते हुए भुगतान करने को कहा है और रजिस्ट्री की फाइल वापस कर दी है।
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