पथरी के आॅपरेशन के बाद युवक की मौत

डॉक्टरों पर पित्त नलिकाओं को सील नहीं करने का आरोप, सर्जरी के बाद 24 दिन जिया युवक
ghaziabad news  दिल्ली-मेरठ मार्ग डॉ. भीमरॉव अंबेडकर पार्क के सामने स्थित प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर पर आॅपरेशन में लापरवाही बरतने पर युवक की मौत होने का आरोप लगाया गया है। परिजनों ने अस्पताल व डॉक्टर के खिलाफ तहरीर दी है।
नेकपुर गांव निवासी सोहनलाल सिंह ने बताया कि मेरे भाई सतीश कुमार (36) की दिसंबर माह में तबीयत खराब हो गई थी। 24 दिसंबर 2024 को सतीश को बस स्टैंड के निकट स्थित श्री श्याम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जांच के दौरान डॉक्टर ने उसकी पित्त की थैली में पथरी बताते आॅपरेशन करना होगा बताया। 25 दिसंबर को अस्पताल में लेजर विधि से सतीश का आॅपरेशन किया गया, चार दिन बाद उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई।
29 दिसंबर को अचानक फिर उसकी तबीयत खराब हुई, तो फोन पर डॉक्टर से बात की, तो उन्होंने इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी। 30 दिसंबर तक सतीश की तबीयत में कोई भी सुधार न होने पर वह उसे अस्पताल लेकर पहुंचे तो इंफेक्शन की बात कहकर उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया। 31 दिसंबर को डॉक्टर ने उसे कहीं ओर ले जाने की सलाह दी।

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एक जनवरी को परिजन उसे लेकर मेरठ के प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, वहां उन्हें सीटी स्कैन में पता चला कि आॅपरेशन के बाद डॉक्टर ने पित्त नलिकाओं को बिना सील किए छोड़ दिया, जिसके कारण संक्रमण फैल गया। 16 जनवरी को मेरठ से दिल्ली एम्स के लिए सतीश को रेफर किया गया। 18 जनवरी को उसकी मौत हो गई। सोमवार को पत्नी गरिमा व चार वर्ष की बेटी वंशिका के थाने पहुंची और अस्पताल व डॉक्टर के खिलाफ तहरीर दी। एसीपी सिद्धार्थ गौतम का कहना है कि जांच के बाद कार्रवाई जायगी।
क्या कहते हैं सीएमओ
गाजियाबाद सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन का कहना है कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है, शिकायत मिलने पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
हमारे चिकित्सकों से नहीं हुई कोई गलती: विक्रांत चौधरी
श्री श्याम अस्पताल के मालिक विक्रांत चौधरी का कहना है कि अस्पताल से आॅपरेशन के बाद सतीश कुमार ठीक होकर अपने घर गए थे, अस्पताल के डॉक्टरों की कोई गलती नहीं है। सतीश के परिजनों ने उन्हें मेरठ के किसी अस्पताल में भर्ती कराया था, जो भी कुछ हुआ है वहीं से हुआ है।
मानक के अनुसार नहीं चल रहे हैं अस्पताल
मुरादनगर में जगह-जगह मुख्य मार्गों पर अस्पताल खुले हैं, जिनमें मानक के अनुसार कोई भी सुविधा मुहैया नहीं है। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों को इस ओर ध्यान नहीं है।

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