Hamirpur: झांसी के पारीक्षा बांध से बेतवा प्रखंड की नहरों का झांसी, जालौन व हमीरपुर जिले के कुरारा ब्लाक में जाल बिछा है, लेकिन कुरारा टेल वाला इलाका है। यहां ऊपरी जिलों में सिंचाई कार्य पूरा होने पर ही पानी आ पाता है। पिछले करीब 20 वर्ष से अधिक समय से देखा जा रहा है कि यहां हमीरपुर शाख नाम की नहर में कभी कभार ही छोटी माइनरों में पानी आ पाता है।
Hamirpur:
इधर पिछले करीब 20 साल से सूखी पड़ी डामर हार की ओर आई माइनर में ओवरफ्लो पानी बह रहा है। अचानक माइनर के उफनाने से ज्यादातर किसान फसलों में पानी भरने से परेशान हैं। माइनर में पानी न आने से किसानों ने निजी नलकूप लगवाए हैं। ताकि फसलों की समय से सिंचाई कर अच्छा उत्पादन ले सकें। माइनर सूखी रहने से इसमें कभी लगे कुलावे व गूलें भी अब खत्म हो चुकी हैं। फिलहाल ओवरफ्लो बह रही माइनर से फसल बचाने को इन दिनों ज्यादातर किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है पानी न आने से कोई इस पर ध्यान नहीं देता है। इसकी पटरियां कमजोर हो चुकी हैं। पटरियों से रिसकर भर रहे खेतों में खंड़ी फसलों को बचाने के लिए इनकी मरम्मत करने में जुटे हैं।
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अभी बारिश का पानी सूखने पर कर पाए पहली जुताई डामर गांव के किसान दादी यादव ने कहा कि वर्षों बाद माइनर में पानी आया है। पटरी की मिट्टी में दरारें हैं इसी से पानी रिसकर खेत में भर रहा है। कहा अभी बारिश का पानी सूखने पर 16 बीघे खेत की पहली जुताई कर पाई है।
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साढ़े तीन सौ रुपये बीघा में पानी खरीद कर किया पलेवा डामर निवासी तुलाराम उर्फ छुट्टन कुशवाहा ने बताया माइनर में कभी पानी नहीं आता है। अभी उसने अपने दो बीघा खेत का पलेवा सरसई गांव निवासी शिवबाबू के नलकूप से किया है। जिसमें प्रति बीघा साढ़े तीन सौ रुपये सिंचाई का देना पड़ा है। यहां इस नहर में कभी पानी बहता नहीं देखा है।
पानी आने से बच गया सिंचाई का पैसा डामर निवासी मान सिंह यादव नहर में पानी आने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एक साल के बलकट (ठेका) पर खेत लिया है। अभी प्राइवेट नलकूप से पलेवा कर गेहूं बो चुका है। गेहूं में पहला पानी लगाना है। नलकूप वाले चार सौ रुपये प्रति बीघा मांग रहे थे। अच्छा रहा नहर में पानी आ गया। उसकी तो मुफ्त में आसानी से फसल की सिंचाई हो जाएगी।