Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने से एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री बढ़ी
Pollution: नई दिल्ली। देश की राजधानी नई दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ने के साथ ही एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री में काफी बढ़ गई है। कारोबारियों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘अति गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 484 तक पहुंच गया है, जो इस मौसम का सबसे खराब स्तर है।
व्यापारियों का कहना है कि एयर प्यूरीफायर और मास्क की मांग बढ़ गई है, क्योंकि कई निवासी इन उपकरणों को अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं। ऐसे में दिल्लीवासियों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है, जिससे एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री में इजाफा हुआ है। लोगों का कहना है कि वायु प्रदूषण के ‘गंभीर’ स्तर को पार करने के बाद मास्क लगाना जरूरी है।
Pollution: दिल्ली में कहां कितना AQI?
- पटपड़गंज- 500
- नेहरू विहार- 500
- आनंद विहार- 499
- मेजर ध्यानचंद स्टेडियम-500
- सिरीफोर्ट- 500
- विवेक विहार-499
- मंदिर मार्ग- 499
- सोनिया विहार- 499
- वजीरपुर- 500
- जहांगीरपुरी-500
दिल्ली में एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री बढ़ी
उधर, दिल्ली-एनसीआर में एयर पॉल्यूशन के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही लोगों की चिंता बढ़ गई है. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण में इजाफे के साथ ही एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. सोमवार (18 नवंबर) को दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई औसत रूप से 484 तक पहुंच गया, जो इस मौसम का सबसे खराब स्तर है.
व्यापारियों का कहना है कि एयर प्यूरीफायर और मास्क की मांग बढ़ गई है, क्योंकि कई लोग इन उपकरणों को अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जरूरी मानते हैं. विकासपुरी स्थित एक एयर प्यूरीफायर कंपनी के मालिक ने बताया कि अक्टूबर के अंत से अब तक उनकी बिक्री में 70 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर बिक्री 20 फीसदी के आसपास रहती है, लेकिन इस बार वायु गुणवत्ता खराब होने के कारण इसमें 70 फीसदी का इजाफा हुआ है.
बता दें कि एक्यूआई के 450 पार जाने के बाद दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में जीआरएपी के चौथे स्टेज के तहत अलग-अलग प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू किए हैं. अधिक प्रदूषण करने वाली गाड़ियों पर बैन लगाया गया है. इसके साथ ही हाईवे, सड़क और अन्य कंस्ट्रक्शन काम को फिलहाल टाल दिया गया है.