Deadly: स्लीपर बसों में छेड़छाड़ कर 47 की जगह लगा रहे 65 सीट
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Deadly: स्लीपर बसों में छेड़छाड़ कर 47 की जगह लगा रहे 65 सीट

Deadly:  नोएडा। निजी बस संचालक अतिरिक्त लाभ कमाने के चक्कर में बसों की मूल डिजाइन में छेड़छाड़ कर हर दिन हजारों मुसाफिरों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। परिवहन विभाग की जांच में बस संचालकों का यह खेल उजागर हुआ है। बीते दो माह में ऐसी 167 स्लीपर बस पकड़ गई हैं। इसमें नागालैंड, दमन दीव, अरुणाचल प्रदेश, बिहार की बसें शामिल हैं। इन राज्यों में बसों की डिजाइन के लिए तय ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एआईएस) कोड में बरती जा रही शिथिलता का बस संचालक लाभ उठा रहे हैं। देश में सभी बसों के लिए अलग-अलग एआईएस डिजाइन कोड है। इसके अनुसार ही सीटों का निर्धारण होता है।

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प्राइवेट बसों तय एआईएस 52 कोड के तहत स्लीपर बसों में 30 लेटने वाली या 15 लेटने और 32 बैठने की सीट तय है। बस संचालक अतिरिक्त लाभ कमाने के चक्कर में इसमें बदलाव कर देते हैं। पूर्ण स्लीपर बस में 30 की जगह 36 लेटने वाली सीट लगा देते हैं। वहीं, मिश्रित बस में 15 स्लीपर के साथ बैठने वाली 18 अतिरिक्त सीट लगा दे हैं। इससे बैठने वाली यात्रियों की संख्या 32 से 50 हो जाती है।
बस में यात्रियों की कुल संख्या 47 से बढ़कर 65 हो जाती है। इससे बस में अतिरिक्त भार होने से पटलने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही सीट बढ़ाने के लिए आपातकाल द्वार बंद देते हैं। एक स्लीपर बस में चार आपातकाल द्वार होते है। आग लगने या हादसा के समय यह खतरनाक हो जाता है। यह बसें दिल्ली से बिहार और पूर्व उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के लिए चलती है। यात्रियों की जान जोखिम में डालने के साथ यह परिवहन निगम को राजस्व का भी नुकसान पहुंचाते है।

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