लखनऊ । राजधानी के लाटूश रोड के इलेक्ट्रानिक्स व्यवसायी दीपक कपूर ने तीन सितंबर को पत्नी हीरू सिंह (37) की गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को बोरे में भरकर दो नौकरों की मदद से उत्तराखंड में खटीमा के जंगल में ले जाकर फेंक दिया। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को पार कर उसने पांच माह की दुधमुंही बेटी को भी वहीं जंगल में छोड़ दिया। इतनी बड़ी घटना को कैसरबाग पुलिस ने दबाए रखा और गुमशुदगी दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
हीरू के परिवारीजनों का दबाव पडऩे पर पुलिस ने हत्यारोपित दीपक को दो नौकरों के साथ गिरफ्तार किया। पुलिस ने इसके बाद भी अपहरण और साजिश की धाराओं में चोरी छिपे तीनों को जेल भेज दिया। घटना के एक माह बाद भी पुलिस शव नहीं बरामद कर सकी है।
राजाजीपुरम एफ ब्लाक निवासी हीरू सिंह के भाई महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि तीन साल से उनकी बहन वास्तुखंड गोमतीनगर निवासी दीपक कपूर की लाटूश रोड स्थित कंपनी में काम कर रही थी। दीपक की कंपनी में इलेक्ट्रानिक्स पाट़र्स बनाने का काम होता है। शादीशुदा होने के बाद भी दीपक ने बहन से शादी कर ली। इसके बाद उसे खुर्शीदबाग स्थित एक फ्लैट में रखा। वह बहन के साथ हफ्ते में दो-तीन दिन ही रहता था। बहन को जब उसकी पहली शादी के बारे में जानकारी हुई और विरोध किया तो वह मारपीट करने लगा। मई में बहन को एक बेटी हुई।
महेंद्र ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन भांजी शुभी से बहन हीरू की फोन पर बात हुई थी। इसके बाद उसका मोबाइल स्विच आफ हो गया। कई दिन तक जब बहन से बात नहीं हुई तो शुभी अपनी मां रेखा सिंह के साथ दीपक की कंपनी में पहुंची। वहां बताया गया कि शुभी अगस्त से कंपनी नहीं आ रही है। बहन की काफी तलाश की गई कुछ पता न चला। कैसरबाग थाने पहुंचे तो पुलिस ने टरका दिया। दबाव बनाने पर 24 सितंबर को दीपक पर हत्याकर शव गायब करने की आशंका जताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
शुभी ने बताया कि कैसरबाग पुलिस ने कहीं खोजबीन नहीं की। अधिकारियों से शिकायत की तो पुलिस हरकत में आई। दो अक्टूबर को पुलिस ने कैसरबाग क्षेत्र से ही कार सवार दीपक कपूर, कार चालक दिनेश कुमार शर्मा उर्फ मोनू निवासी राजापुर हैदरगढ़ और धीरेंद्र वर्मा निवासी अरई सिद्दौर कोठी बाराबंकी को गिरफ्तार किया। दीपक ने बताया कि तीन सितंबर को पत्नी से उसका झगड़ा हुआ था।
झगड़े के दौरान उसने पत्नी का गला दबा दिया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। फिर शव बोरे में रखा और कार से सीतापुर रोड के रास्ते उत्तराखंड में खटीमा के जंगल में फेंक दिया। उसके कुछ दूर आगे जंगल में पांच माह की मासूम बेटी को भी छोड़कर चले आए। पुलिस जहां, छुटभैया चोर पकड़े जाने पर प्रेस वार्ता करती थी। इतने बड़े मामले को दबाए रखा और आरोपियों को चोरी छिपे जेल भेज दिया। पुलिस ने उनके खिलाफ हत्या की धारा भी नहीं लगाई। सिर्फ साजिश और अपहरण की धारा में कार्रवाई की।
पुलिस ने आरोपियोंं के पास से 98500 रुपये, वारदात में प्रयुक्त क्रेटा कार, चार मोबाइल बरामद की। इंस्पेक्टर कैसरबाग डीके उपाध्याय ने बताया कि अभी तक शव बरामद नहीं हुआ था इस लिए 302 में कार्रवाई नहीं की गई। क्योंकि घटनास्थल जहां हीरू रहती थी वह खुर्शीदबाग नाका थाना क्षेत्र में है। इस लिए मामले की विवेचना नाका कोतवाली को ट्रांसफर हो गई है। अब नाका पुलिस आरोपितों को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है। इंस्पेक्टर ने बताया कि एक टीम उत्तराखंड भेजी गई थी। वहां पड़ताल में पता चला कि बच्ची को खटीमा पुलिस ने जंगल से बरामद किया था। इसके बाद उसे देहरादून के एक बाल संरक्षण गृह में रखा गया है।