राजेंद्र नगर मे राव आईएएस कोचिंग सेंटर में हुई घटना के बाद इमारतों में बने बेसमेंट के इस्तेमाल को लेकर नियमों के विरुद्ध जाकर किए जा रहे काम के मामले में प्रशासनिक तौर पर चर्चाएं होने लगी। दिल्ली में अलग अलग जगह पर मकान, दुकान और फैक्टरियों में बेसमेंट बने हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल ठीक वैसे ही हो रहा है जैसे कि फ्लोर का किया जाता है। यदि कागजों पर देखें तो ज्यादातर लोग बेसमेंट को ऐसा दिखाते हैं कि वो उसका इस्तेमाल ही नहीं करते। कुछ कामों के लिए बेसमेंट पूरी तरह प्रतिबंधित है, लेकिन वैसे काम धड़ल्ले से हो रहे हैं।
बेसमेंट में चल रही दुकान और जिम
दिल्ली से सटे नोएडा की बात करें तो यहाँ भी अलग अलग सेक्टरों में मकान, दुकान और फैक्ट्रियों में बेसमेंट बने हैं। इतना ही नहीं अस्पतालों में भी बेसमेंट हैं, जिनमें ओपीडी की जाती है। जिस तरह से राजेंद्र नगर में घटना हुई है, उसे देखते हुए बेसमेंट का इस्तेमाल बहुत सेंसिटिव है। नोएडा के अलग अलग सेक्टरों में घरों में बने बेसमेंट के अंदर कोई जिम चला रहा है तो कोई क्लीनिक चला रहा है। फैक्ट्रियों और कमर्शियल स्पेस में बने बेसमेंट का इस्तेमाल फ्लोर की तरह होता है, लेकिन जिस वक्त फायर एनओसी ली जाती है, उस दौरान बेसमेंट का इस्तेमाल स्टोर रूम या फिर उस काम के लिए दिखाया जाता है। जिसमें बहुत ज्यादा लोग उसमें ना जाए। राजेंद्र नगर में राव आईएएस स्टडी सर्कल में बेसमेंट का इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में दिखाया गया था। यदि कभी आग लगती है या फिर अधिक बारिश होकर पानी आता है तो लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। दिल्ली राजेंद्र नगर में तीन छात्रों की जान चली गई। सवाल यही है कि क्या नोएडा में प्राधिकरण और फायर डिपार्टमेंट इस तरह के हादसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?