Delhi News: नयी दिल्ली: सेल्सफोर्स इंडिया की अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूंधति भट्टावार्य ने आम बजट को सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुये आज कहा कि इससे नौकरियों का सृजन हो सकेगा, जो आज के समय सबसे ज्यादा जरूरी है। श्रीमती भट्टाचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा “ 2024-25 का बजट एक संतुलित बजट है। इसमें महिलाओं, युवाओं और नौकरी के सृजन पर विशेष ध्यान दिया गया है, तथा सभी के लिए पर्याप्त अवसरों के निर्माण के लिए सतत प्रयासों पर बल दिया गया है। जैसा कि वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व में अस्थिरता होने के बाद भी भारत की आर्थिक वृद्धि निरंतर होती रही, और आने वाले सालों में भी यह ऐसे ही चलती रहेगी।”
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उन्होंने कहा कि इस बजट में कौशल विकास, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, कृषि में टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देने और सबसे बड़े रोजगार निर्माता, एसएमईज़ को सहयोग देने की पहल सराहनीय हैं। इन उपायों से भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में मदद मिलेगी। इस साल शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है, जो एक सराहनीय कदम है। साथ ही, रोजगार से जुड़े कौशल से 2.1 लाख युवाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिनमें विशेषकर पहली बार नौकरी तलाशने वाले युवा शामिल होंगे। मॉडल स्किल ऋण योजना में प्रस्तावित संशोधन से भी हर साल 25,000 विद्यार्थियों को मदद मिलेगी। मुद्रा ऋण राशि को बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाना एक सही कदम है।
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उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के डिजिटल फुटप्रिंट के स्कोरिंग के आधार पर अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के डिजिटल फुटप्रिंट के स्कोर पर आधारित एक नया क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल विकसित करने से क्रेडिट की पात्रता के पारंपरिक मूल्यांकन में काफी सुधार होने की उम्मीद है, जो केवल एसेट या टर्नओवर के मानकों पर आधारित है। इससे औपचारिक एकाउंटिंग प्रणाली ना रखने वाले एमएसएमई को क्रेडिट प्राप्त करने और वास्तविक रूप से वित्तीय समावेशन लाने में मदद मिलेगी। यह भी उत्साहवर्धक है कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें छात्रावास स्थापित करने, क्रेच स्थापित करने और महिला-विशिष्ट कौशल कार्यक्रमों के लिए गठबंधन करने के प्रावधानों द्वारा सहयोग दिया जा रहा है। वृद्धों की देखभाल पर केंद्रित होने से ज्यादा समग्र लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती, क्योंकि इस इन्फ्रास्ट्रक्चर के अभाव में महिलाओं को अक्सर कार्यबल छोड़ने का विकल्प चुनना पड़ता है।
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