Legal Will format: कभी भी हो सकती है अनहोनीः वसीयत बना रहे है तो इन बातों का रखें ख्याल

Legal Will format:  आजकल जिस तरह से अचानक हादसे या फिर बीमारियों के कारण अनहोनी हो रही है। यदि आप 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके है तो आप अपनी वसीयत यानी विल बना सकते हैं। यह एक जरूरी कानूनी दस्तावेज है जो आपको समय रहते पूरा कर लेना चाहिए. इसे फिल्मी या बेजा मानकर दरकिनार नहीं करना चाहिए। आप वसीयत करने की योजना बना रहे हैं तो इसके लिए आपको पहले तैयारी करनी होगी। ये बाते है जिनका ख्याल रखना होगा।

बता दें कि जमीन, मकान, दुकान और फेक्टरी जैसी अचल संपत्ति के मामले में आपको, खासतौर से भूमि के मामले में, पूरा पता, प्लॉट/सर्वेक्षण संख्या, सभी संयुक्त मालिकों (जॉइंट होल्डर) के नाम और क्षेत्रफल जैसे हर विवरण का उल्लेख वसीयत में करना चाहिए. आपकी वसीयत जितना विस्तृत (जरूरी तौर पर) होगी उतना बेहतर होगा. परिवार में सपंत्ति आदि को लेकर कोई झंझट न हो, सुचारू रूप से हस्तांतरण हो, इसलिए वसीयत लिखना बेहद जरूरी है। हालांकि भारत में लोग वसीयत लिखने के केस में उतना ऐक्टिव नहीं हैं।

 

यह भी पढ़े : अब अखिलेश यादव का इस लोकसभा से चुनाव लड़ने का बन रहा मन, काटेंगे उम्मीदवार का टिकट

प्रथमः अपनी खुद की, परिवार या संस्था से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

वसीयत में वसीयतकर्ता (विल लिखने वाला व्यक्ति) के व्यक्तिगत और तत्काल परिवार के सदस्यों के विवरण शामिल होने चाहिए। जैसे कि नाम, पता और स्वयं और परिवार के सभी सदस्यों या उन लोगों का यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यूआईडी जिन्हें आप इस वसीयत में शामिल करना चाहते हैं। यदि कोई संस्था है जिसे आप वसीयत के तहत हिस्सा दे रहे हैं तो संस्था का विवरण देना भी जरुरी होगा।
दूसराः फोलियो नंबर, पॉलिसी नंबर, एफडी डीटेल आदि की जानकारी

म्यूचुअल फंड में फोलियो नंबर, फिक्स्ड डिपॉजिट नंबर या कोई अन्य नंबर जो लेन-देन या परिपक्वता के कारण बदलता रहता है, जैसे बारीक विवरण मेंशन करने की आवश्यकता नहीं है। कस्टमर आईडी, बचत खाता संख्या, डीमैट खाता संख्या, पॉलिसी नंबर, जो यूनीक होते हैं और बदलते नहीं हैं, इनका जिक्र करना चाहिए। जॉइट खातोंध्निवेशों के लिए, जॉइंट होल्डर के नाम भी शामिल किए जाने चाहिए।
तीसराः शेयर बाजार आदि में निवेश वालेे दस्तावेज

वित्तीय लिहाज से देखें तो वसीयत में बैंकिंग डेटा जिसमें विभिन्न बैंकों में आपके सभी बचत/चालू खाते और सभी लिंक्ड एफडी और आरडी को वसीयत में शामिल करना चाहिए। एनएसडीएल की कॉमन अकाउंट सर्विसेज, जो सभी म्यूचुअल फंड और डीमैट खातों को लेन-देन और होल्डिंग डीटेल के साथ जोड़ती है, म्यूचुअल फंड फोलियो और डीमेट अकाउंट नंबर प्राप्त करने का एक अच्छा स्रोत है। यहां, फिर से, फोलियो नंबर बदलता रहता है, इसलिए सभी फोलियो नंबरों को कैप्चर करने के बजाय, केवल अपने पैन से जुड़े सभी म्यूचुअल फंडों का जिक्र करें. संदर्भ के लिए लेटेस्ट सीएएस स्टेटमेंट अटैच कर लें।

यह भी पढ़े : Noida Breaking: जिला अस्पताल में खुलाकर भ्रष्टाचार, मरीजो को ऐसे लूट रहे डाक्टर

 

चौथा : वसीयत करना कानूनी रूप से अनिवार्य है?
प्लानमाईएस्टेट अडवायजर एलएलपी शैलेंद्र दुबे के हमारी सहयोगी साइट मनी कंट्रोल में छपे लेख के मुताबिक, साल में कम से कम एक बार वसीयत में डीटेल अपडेट करवा लें। फिजिकल रूप में रखे गए किसी भी शेयर, बॉन्ड या अन्य सिक्यॉरिटीज का वसीयत में अलग से जिक्र करना ठीक रहता है। एक जरूरी बात यह जान लें कि वसीयत करना कानूनी बाध्यता या अनिवार्य नहीं है। मगर, मौत के बाद आपकी संपत्ति आदि को लेकर झमेले न हों, इसलिए वसीयतनामा बेहतर होगा।
पंचवांः अचल संपत्ति को लेकर क्या बेहतर कदम होगा

जमीन-मकान-दुकान जैसी संपत्ति के अलावा, अन्य भौतिक संपत्ति जैसे पैतृक गहने, अन्य आभूषण, सोना चांदी और कई बार महंगी पेंटिंग का जिक्र भी होना चाहिए। इन सब पर वसीयत करने के बाद भी आप वसीयत में जिन संपत्तियों का उल्लेख नहीं करेंगी, वे सब अवशिष्ट संपत्ति श्रेणी में काउंट होंगी। बताते है कि एक अच्छी तरह से तैयार की गई वसीयत में हमेशा ऐसे रेसीडुअल एसेट्स को लेकर भी एक क्लॉज होना चाहिए।

छठाः नॉमिनी को संपत्ति आदि पर कितना हक

सुप्रीम कोर्ट के वकील बताते है कि खातों या वित्तीय एसेट के नॉमिनी संरक्षक होते हैं, उनका सीधे मालिकाना हक नहीं बन जाता। मालिकाना हक वसीयत में नाम होने पर ही होगा। इसलिए यदि आप वसीयत करने जा रही हैं तो सब साफ साफ लिखना बेहतर है। हालांकि वकील वलीखन्ना के मुताबिक, आप वसीयत में यह भी लिखवा सकती हैं कि आपके वित्तीय एसेट में जो जहां नॉमिनी है, उसे कानूनी रूप से उत्ताराधिकारी भी माना जाए। वसीयत करते समय हर प्रकार से कानूनी सलाह और मजबूती के साथ कागजात तैयार कर लें।

यहां से शेयर करें