Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही बिखरते दिख रहे विपक्षी गठबंधन INDIA को एक और झटका लगने के आसार हैं. उत्तर प्रदेश में भी यह गठबंधन चुनावों से पहले ही बिखरने की पटकथा लिख दी गई है. समाजवादी पार्टी के साथ कुछ दिन पहले चुनावी गठबंधन की घोषणा करने वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी अब भाजपा के साथ हाथ मिला सकते हैं.
वहीं मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर भी सपा और आरएलडी में खींचतान बताई गई थी. समाजवादी पार्टी चाहती है की हरेंद्र मलिक को वहां से आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ाया जाए. आरएलडी के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में हैं और नहीं चाहते की हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर की सीट दी जाए. कारण, हरेंद्र मलिक जब कांग्रेस में हुआ करते थे तब से चौधरी परिवार से पुरानी अदावत रही है और मुजफ्फरनगर सीट चौधरी परिवार की कोर सीट मानी जाती है.सपा से बनते-बनते यूं बिगड़ी बात
भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। सीटें चिह्नित करने और सपा की ओर से तीन सीटों पर रालोद के चुनाव निशान पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की शर्त पर पेच फंस गया।
सपा चाहती है कि कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो रालोद के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। सपा के समक्ष मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद ने दावा ठोका था, जहां बीते चुनाव में दिवंगत अजीत सिंह महज छह हजार मतों से हार गए थे। रालोद नेताओं ने कैराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी। लेकिन मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बन गई। इसी दौरान चर्चा शुरू हो गई कि रालोद अध्यक्ष की भाजपा से गठबंधन की बात हुई है।
भाजपा से मिल रही है महज 4 सीट
जयंत चौधरी को भाजपा की तरफ से महज 4 लोकसभा सीट कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा ही मिल रही है, जबकि अखिलेश यादव ने उन्हें 7 लोकसभा सीट ऑफर की थी. अखिलेश यादव की तरफ से बागपत, मुजफ्फरनगर, मथुरा, कैराना और हाथरस के अलावा दो सीट और देने की बात कही गई थी. इसके बावजूद जयंत चौधरी इंडी गठबंधन को छोड़कर भाजपा से जुड़ने के लिए राजी हो गए हैं, जिससे हर कोई हैरान है.
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