नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आजकल जमीनों पर कब्जा करना और अवैध रूप से बेचने का खेल खेला जा रहा है। इस खेल के खिलाड़ी कौन-कौन है? इसका पता लगाना बेहद जरूरी है प्रशासन और प्राधिकरण केवल गरीबों पर ही कार्रवाई तक सीमित है, जबकि कालोनियां काटने वाले गरीबों के खून पसीने की कमाई लेकर फूर्र हो जाते हैं और फिर वो प्राधिकरण प्रशासन की मार गरीबों को ही झेलनी पड़ती हैं। नोएडा के सलारपुर और हाजीपुर के बीच महर्षि आश्रम की जमीन के साथ-साथ नोएडा प्राधिकरण की अर्जित जमीन को भी कॉलोनाइजर बेचे जा रहे हैं। लोग धड़ल्ले से खरीद रहे हैं उनको कहा जाता है कि यह जमीन गांव की है। प्राधिकरण का कोई लेना देना नहीं, जब लोग खरीदने के बाद मकान और दुकान बनाते हैं तो प्राधिकरण का बुलडोजर पहुंच जाता है।
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अब तो इतना कहा जाने लगा है कि बुलडोजर केवल वही पहुंचता है जहां प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों की जेब भारी नहीं होती। इतना ही नहीं इस पूरे खेल में भाजपा के कुछ नेताओं के भाई भतीजे और रिश्तेदार खुलकर अवैध कॉलोनी काट रहे हैं। जब प्राधिकरण अधिकारी और कर्मचारियों को पता चलता है कि यह तो भाजपा नेता के भाई साहब हैं। तब बुलडोजर में पंचर हो जाता है या फिर दिखावटी कार्रवाई होती है। ठीक इसी तरह गांव इलाबांस याकूबपुर, नयागांव, हाजीपुर, सलारपुर, सोरखा में डूब क्षेत्र, बरोला में भी देखने को मिल रहा है। अब तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से उन मकानों को सील करने की कार्रवाई की जा रही है, जिन्होंने कॉलोनाइजरों की बात में आकर प्लॉट तो खरीद लिए लेकिन ज्यादा इंक्वारी नहीं की। ऐसे में जरूरत है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग करें ताकि गरीब जनता की खून पसीने की कमाई लूटने से बचाई जा सके। कुछ स्थानों पर देखने में आया है कि किसी भी व्यक्ति की जमीन 1000 गज है लेकिन वो इस जमीन के बदले 2500 गज तक बेच देता हैं।
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क्या कहते है डीएम
डीएम मनीष वर्मा का कहना है कि ऐसे सभी काॅलोनाजिरों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएंगी। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की जमीन पर कब्जा करता है तो उसे बख्शा नही जाएंगा।