Noida-Greater Noida: अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों के बाद कहा जा रहा था कि अब फ्लैट बायर्स को उनका मालिकाना हक मिलेगा। जिस तरह से बिल्डरों का रुख है उससे कुछ ओर ही लग रहा है। आपको बता दें कि कमेटी की सिफसरिश लागू होने के बाद केवल पांच बिल्डरों ने ही 5.4 करोड़ रुपये की धनराशि जमा कराई हैं, जबकि 31 बिल्डरों पर छूट के बाद 6400 करोड़ रुपये की बकाया बना हुआ है। ऐसा लगा रहा है कि उंट के मुंह में जीरा। जिन बिल्डरों ने पैसे जमा कराए हैं। उन पर ज्यादा बकाया नहीं था। प्राधिकरण की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद भी बड़े बिल्डर पैसे जमा करने के मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं।
बीते दिनों 7 बिल्डरों ने प्राधिकरण के साथ बातचीत के बाद बकाया धनराशि जमा करने की सहमति दी थी। इनमें से पांच बिल्डरों ने ही पैसे जमा कराए। बाकी के दो बिल्डरों ने अभी पैसे जमा नहीं कराए हैं। लेकिन प्राधिकरण के पैकेज पर साइन कर दिया है। अभी भी नोएडा के 50 बिल्डरों के साथ प्राधिकरण के पैकेज पर साइन करने के बाबत सहमति नहीं बन पाई है। इनमें से 24 बिल्डर ऐसे हैं जो कि प्राधिकरण से वार्ता कर पैकेज साइन करने पर सहमति भी दे चुके हैं।
कुल बकाया 8000 करोड़
नोएडा के पूरे हो चुके 31 प्रोजेक्ट का कुल बकाया 8000 करोड़ है। इनको कोविड काल की छूट देने के बाद करीब 20 प्रतिशत राशि कम हो रही है। ऐसे में छूट के बाद बकाये की राशि 6400 करोड़ रुपये होगी। वहीं अगर अधूरी परियोजनाओं का भी बकाया जोड़ दिया जाए तो कुल बकाया 28 हजार करोड़ बनता है। लेकिन इनमें से अधिकांश मामले कोर्ट में हैं। यूनिटेक पर ही अकेले करीब 9 हजार करोड़ का बकाया है। ऐसे ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में 17 प्रोजेक्ट्स हैं। बाकी प्रोजेक्ट्स दूसरी कोर्ट में हैं।
इन बिल्डरों ने साइन किए पैकेज
-आईआईटीएल निम्बुस प्राइवेट लिमिटेड
-कैपिटल इंफ्राप्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड
-डिवाइन इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
-एचआर ओरैकल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड
-एम्स आरजी एंजल प्रोमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड
-बिल्डर सनशाइन इंफ्रावेल प्राइवेट लिमिटेड
-गुलशन होम्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
यह भी पढ़े : Group Marriage: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में 224 जोड़ों ने एक दूसरे को पहनाई वरमाला
केवल 1084 बायर्स की होगी रजिस्ट्री
यदि पूरी हो चुकी परियोजनाओं के बिल्डर बकाया प्राधिकरण को दे दिया जाए तो करीब 7 हजार रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो जाएगा। फिलहाल अब तक केवल 1084 फ्लैटों की ही रजिस्ट्री का रास्ता साफ हुआ है। वहीं अधूरे फ्लैटों के निर्माण का रास्ता खोलने और पैकेज साइन करने के लिए कोई भी बिल्डर आगे नहीं आ रहा है। इस वजह से पूरा मामला संशय में है।
बिल्डरों को ये फायदा भी मिला
चार-पांच बिल्डरों का तर्क है कि प्राधिकरण अगर उनके एनजीटी काल के बकाये की छूट प्रदान कर दे तो उन्हें एक भी पैसा जमा नहीं कराना होगा। प्राधिकरण से ओसी मिलने के बाद उनकी परियोजनाओं में रजिस्ट्री का काम अगले दिन से शुरू हो सकता है।