जेवर में बना रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को सरकार भुना पाए या नहीं मगर प्रॉपर्टी डीलर इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। अलग-अलग परियोजनाएं बताकर लोगों को आकर्षित किया जा रहा है। मगर यह नहीं बताया जा रहा कि यहां भूखंड लिया तो धोखाधड़ी भी हो सकती है। दरअसल यमुना प्राधिकरण के नियम जानना बेहद जरूरी है। ताकि आप के खून पसीने की गाढी कमाई को कोई ठग कर ना ले जाए। 120 मीटर से लेकर 2000 वर्ग मीटर तक के आवासीय भूखंड है।
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उसके अलावा औद्योगिक भूखंडों की भी भरमार है, लेकिन मौके पर आप देखेंगे तो कुछ ही फैक्ट्री चालू हो पाई है। यहां भूखंड लेने वालों को करीब 5 साल का फंक्शनल करने का समय दिया गया है। इस सब के बीच आवासीय भूखंडों के रेट दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रॉपर्टी बाजार में लगातार उछाल आ रहा है। हकीकत यह भी है कि यमुना प्राधिकरण की ओर से सबसे पुरानी यानी 2013 तक की अलॉटमेंट के बाद के भूखंड किसी दूसरे के नाम हस्तांतरित नहीं होते, इसके लिए 5 साल का वक्त लगता है। मगर यमुना प्राधिकरण की ओर से अलग-अलग स्कीम लाकर ड्रा किया जाता है। ड्रॉ संपन्न होते ही सफल आवेदकों के नंबर प्रॉपर्टी डीलर्स पर पहुंच जाते हैं।
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इन नंबरों से सबसे पहले यह डीलर ड्रॉ में सफल रहने वाले लोगों को बधाई देते हैं और फिर उन्हें मोटी कमाई का झांसा देकर भूखंड बेचने के लिए तैयार कर लेते हैं। वही खरीददार को भी तरह-तरह के दावे करते हुए खरीदने के लिए तैयार करते हैं। ज्यादातर प्राधिकरण के भूखंड जीपीए और विल पर बिक रहे हैं। खास बात यह भी है कि गौतम बुद्ध नगर में पिछले कई महीनो से जीपीए बंद हो रखी है। यह सरकार की ओर से कदम उठाया गया था, मगर अब जीपीए के लिए रजिस्ट्री के बराबर ही स्टांप शुल्क देना होगा। तब जीपीए संपन्न हो पाएगी। ध्यान रखें कि जीपीए करने के बाद भी आप पूरी तरह से मालिक नहीं बनते। प्रॉपर्टी हस्तांतरण नहीं हो रहा है और लोगों की गाढी कमाई फस्ती जा रही है।