JHJ Exclusive:ऐसा क्या है प्राधिकरणों में जो आता है वह जाना नहीं चाहता पोस्टिंग के लिए चक्कर काटते है

JHJ Exclusive:नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण में लगातार एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिससे योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर चोट पहुंच रही है। दरअसल प्राधिकरण से जब अधिकारी और कर्मचारियों का ट्रांसफर हो जाता है तो वह उसे रुकवाने के लिए एड़ी चैटी का जोर लगा देते हैं। ऐसा ही हाल में देखने को मिला जब नोएडा प्राधिकरण में तैनात ओएसडी अविनाश त्रिपाठी का ट्रांसफर हुआ। आदेश में लिखा था कि तत्काल प्रभाव से उन्हें दूसरे स्थान पर जाकर कार्यभार संभालना था। मगर चंद घंटे में ही ऐसा क्या हो गया की सख्त लिहाजा में किए गए आदेश वापस कर लिए गए। अब एक लेखपाल का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह 50 हजार की रिश्वत लेते दिख रहा है।

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इसी तरह के मामले में जब भू विभाग में ओएसडी अविनाश त्रिपाठी थे तब मामला उठा था, इसीलिए उनसे भू विभाग वापस ले लिया गया। ग्रेटर नोएडा में भी कई ऐसे अधिकारी हैं जो तबादला होने के बाद अपने राजनीतिक आकाओं के यहां जाकर उसे रुकवाने के लिए पूरा जोर लगाते हैं। कुछ को जाना भी पड़ जाता है लेकिन कुछ केवल हवा हवाई ही निकलते हैं। उन्हें फिर दूसरी जगह जाकर ज्वांइन करना पड़ जाता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में ऐसा क्या है जो अधिकारी और कर्मचारी यहां से जाना नहीं चाहते। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में यह तीनों ऐसे प्राधिकरण है। जहां काम करने की अपार संभावनाएं लेकिन काम करने की मंशा के पीछे दूसरी मंशा भी छुपी होती है। सुप्रीम कोर्ट के उसे वक्तव्य को यह बताना चाहेंगे कि सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट मामले में कहा था नोएडा प्राधिकरण के आंख नाक कान सब जगह से भ्रष्टाचार बहता है। भ्रष्टाचार के मामले में ग्रेटर नोएडा के कई अधिकारी और कर्मचारी जेल जा चुके हैं। इसके अलावा यमुना प्राधिकरण की बात करें तो यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीसी गुप्ता के साथ-साथ कई अन्य कर्मचारी भ्रष्टाचार या फिर सरकारी धन में हेरा फेरी करने के मामले में जेल गए थे।

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