DSP Ziaul Haq Murder Case: क्या अब राजा भैया को होगी जेल!!
DSP Ziaul Haq Murder Case: रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ ऐ बार फिर से जांच शुरू हो गई है। राजा भैया पिछले 30 वर्षों से कुंडा से ही विधायक हैं। प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख तक के पद पर वही रहता है जिसे राजा चाहते हैं। जमीन का विवाद हो या फिर पारिवारिक झगड़ा, लोग थाने जाने के बजाय राजा के दरबार में जाते हैं। राजा ने जो फैसला सुना दिया, वही मान्य हो जाता है। यहां राजा भैया से जुड़ी अपराध की कहानियां भी खूब चलती हैं, लेकिन इसे बताने से पहले श्कहा जाता है कि लाइन का प्रयोग होता है।
रघुराज प्रताप सिंह के रुतबे, दबदबे या फिर कहें प्रभाव के बीच एक मामला उनके गले की फांस बनता जा रहा है। वह केस है डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड। सीबीआई जांच पूरी करने के बाद कहती है कि इसमें राजा का हाथ नहीं। कोर्ट कहता है कि फिर से जांच करिए।
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ये है पूरा प्रकरण
दरअसल, प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में प्रधान नन्हें यादव और कामता पाल जमीन के एक विवाद को सुलझाने के लिए पंचायत कर रहे थे। नन्हें ने कुछ वक्त पहले बबलू पांडे से जमीन खरीदी थी। बकायदा रजिस्ट्री करवा रखी थी। लेकिन इस जमीन पर कामता ने भी दावा कर रखा था। इसी बीच उन्हें गुड्डू सिंह का समर्थन था। गुड्डू राजा के खास थे। पहले उनके ड्राइवर हुआ करते थे। कामता कहते थे कि यह जमीन मेरी है। इसी बात का विवाद था कि जमीन का असली मालिक कौन है? पंचायत आगे बढ़ रही थी। एक-दूसरे को कागज दिखाकर दावा किया जा रहा कि जमीन पर मेरा अधिकार है। इसी मामले में लोगों की आवाज ऊंची हो गई। एक-दूसरे को गालियां दी जाने लगीं। बैठक में कामता पटेल के बेटे अजय और विजय भी मौजूद थे। विजय ने पिस्टल निकाली और नन्हें को गोली मार दी। प्रधान को गोली मारने की बात गांव में ऐसे फैली कि मानो कोराहम मच गया हो। आरोपी बाइक से भाग गए। नन्हें को लेकर लोग अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। यहीं हथिगवां थाने की पुलिस प्रशासन से चूक हो गई। उन्होंने नन्हें के शव का पोस्टमॉर्टम करवाने के बजाय परिवार को सौंप दिया। परिवार शव लेकर बलीपुर पहुंचा, तो प्रधान के समर्थक उग्र हो गए। कामता पाल के घर में आग लगा दी।
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गांव में हिंसा की भड़की तो तत्कालीन कुंडा सीओ जियाउल हक और एसएचओ सर्वेश मिश्रा अपनी टीम के साथ रात करीब 8 बजे बलीपुर गांव गए थे। गांव के मुख्य रास्ते पर भीड़ उग्र थी। फायरिंग हो रही थी। इसलिए नन्हें के घर तक पहुंचना आसान नहीं था। जियाउल हक ने तय किया कि गांव में पीछे के रास्ते से एंट्री लेंगे। जियाउल हक के साथ उनके गनर इमरान और कुंडा के एसआई विनय कुमार सिंह थे। ये दोनों खेत में ही छिप गए। सीओ और थाना प्रभारी बाकी टीम के साथ गांव में पहुंचे।
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नन्हें के घर तक जाने के लिए एक गली थी। जियाउल हक सबसे आगे थे। तभी गली से उग्र भीड़ पुलिस की तरफ दौड़ी। जो आगे थे, वह पीछे हो गए। नन्हें के भाई सुरेश के हाथ में लोडेड बंदूक थी। उसने बट से जियाउल हक पर हमला कर दिया। तभी गोली चली और सुरेश के पेट में लगी। सुरेश तड़पने लगा। तभी नन्हें का बेटा बबलू, पवन, सुधीर पहुंचे और जियाउल हक को पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद बबलू ने बगल में पड़ी बंदूक उठाई और जियाउल हक को गोली मार दी। सारे पुलिस जान बचाकर भाग चुके थे। जियाउल को अस्पताल ले जाने वाला कोई नहीं था। कुछ देर में उनकी मौत हो गई।