NASA-ISRO SAR Mission: नासा और इसरो मिलकर बना रहे सबसे महंगा सैटेलाइट, डेढ़ अरब डॉलर से बना निसार
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NASA-ISRO SAR Mission: नासा और इसरो मिलकर बना रहे सबसे महंगा सैटेलाइट, डेढ़ अरब डॉलर से बना निसार

NASA-ISRO SAR Mission:  वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और इसरो एक साथ मिलकर एक सैटेलाइट का निर्माण कर रहे हैं। इस सैटेलाइट का नाम नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) है जो अगले साल की शुरुआत में लॉन्च के लिए लगभग तैयार हो चुका है। यह सैटेलाइट इकोसिस्टम में गड़बड़ी और दुनिया भर में बदल रहे मौसम का निरीक्षण करेगा। भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की इसके जरिए भविष्यवाणी की कोशिश होगी। इस सैटेलाइट का वजन 2,600 किग्रा है।

NASA-ISRO SAR Mission:

इस उपग्रह का नाम है- नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR)। लगभग 2600 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह पर 1.5 बिलियन डॉलर खर्च किए जाने हैं। कुल मिलाकर यह अब तक का सबसे महंगा अंतरिक्ष मिशन होगा। यह 5 से 10 मीटर के रिज़ॉल्यूशन पर महीने में 4 से 6 बार पृथ्वी की भूमि और बर्फ के द्रव्यमान की ऊंचाई को मैप करने के लिए रडार इमेजिंग का उपयोग करेगा।

नासा के वैज्ञानिक मार्क सुब्बा राव ने डेक्कन क्रॉनिकल से बात करते हुए कहा कि “NISAR का रडार समय के साथ धरती की सतह, भूमि और समुद्री बर्फ की गतिविधियों को पकड़ेगा जिससे धरती में होने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म परिवर्तनों का भी पता चल सकेता है। यह पता चल पाएगा कि धरती की सतह के नीचे क्या हो रहा है।”

भारतीय वैज्ञानिकों को मिलेगा डेटा
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सैटेलाइट जितनी डिटेल के साथ जानकारी प्राप्त करेगा उसके लिए कई किमी लंबें एंटीना चाहिए होंगे, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है। इसलिए वैज्ञानिक सैटेलाइट के तेज मोशन का इस्तेमाल करेंगे, जिसके जरिए एक वर्चुअल एंटीना बन सकेगा। इसरो ने NISAR यूटिलाइजेशन प्रोग्राम की भी घोषणा की है। इसके जरिए भारत के शोधकर्ता और वैज्ञानिक NISAR सैटेलाइट मिशन के डेटा तक पहुंच सकेंगे। इसके साथ इन्हें इसके विश्लेषण की व्याख्या का मौका मिलेगा।

भारत में जोड़ा गया सैटेलाइट का हिस्सा
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में नासा ने बताया था कि इस मिशन के दो प्रमुख घटकों को बेंगलुरु में जोड़ा गया है। नासा ने बताया था कि जून में बेंगलुरु में इंजीनियरों ने सैटेलाइट के अंतरिक्ष यान बस और रडार को एक साथ जोड़ा। इस पेलोड को मार्ट की शुरुआत में दक्षिणी कैलिफोर्निया के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी से ले जाया गया था। सैटेलाइट का बस एक एसयूवी के आकार का है। इसके आंशिक हिस्से को गोल्डेन रंग के थर्मल कंबल में लपेटा गया है।

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