भारत वर्सेस इंडिया राजनीति का विषय बन गया है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान इंडिया समिट में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया पहुंच चुके हैं। उनके इंडोनेशिया दौरे के कार्ड पर इंडिया नहीं बल्कि भारत लिखा है। जी 20 के इनविटेशन कार्ड पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है। आखिर मोदी सरकार को इंडिया नाम से नफरत क्यों होने लगी है। पिछले साढे 9 साल में इंडिया नाम से इतनी नफरत देखने को नहीं मिली। आईए जानते हैं आखिर इंडिया से भारत नाम करने की क्या प्रक्रिया है और मोदी सरकार नाम बदलने में माहिर समझी जाती है और इस बार भी उसने ऐसा ही परिचय दे दिया है।
क्या नाम बदलने से विपक्ष का गठबंधन हार जाएगा या फिर मिट्टी में मिल जाएगा। मतदाता उन्हें नकार देंगे। क्या इंडिया नाम हटाने से पीएम मोदी हैट्रिक बना पाएंगे या उससे दूर रह जाएंगे। इंडिया नाम बदलने का यह कोई पहली बार मामला नहीं उठा है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इंडिया की जगह भारत नाम करने के लिए लगाई गई याचिका पर याचिकाकता। को फटकार लगाई और कहा कि ऐसे मामलों में यदि आगे से याचिका लगी तो कोर्ट का टाइम बर्बाद माना जाएगा। खैर उस वक्त से भारत नाम की मांग नहीं उठी। मगर अब ऐसा लगने लगा है कि जब से विपक्ष से 26 दलों के गठबंधन का नाम इंडिया रखा गया है तब से मोदी सरकार के मंत्रियों और नेताओं को उससे नफरत होने लगी है। सवाल है कि इंडिया नाम कहां-कहां से मिटाया जाएगा। क्या इंडिया गेट का नाम भारत गेट होगा, गेटवे आॅफ इंडिया का नाम गेटवे आॅफ भारत होगा। क्या आईआईटी यानी इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी का नाम भारत इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी हो जाएगा, क्या आईआईएम का नाम इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट से भारत इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट होगा, इंडियन एयरलाइंस का नाम भारत एयरलाइंस हो जाएगा।
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कई जगह अच्छी कॉफी शॉप बनी है उन्हें इंडिया हाउस के नाम से जाना जाता है क्या अब भारत हाउस के नाम से जाना जाएगा। सरकार कोई गली मोहल्ले या सड़क का नाम बदलने नहीं जा रही, बल्कि देश का नाम ही बदलने की कोशिश हो रही है। संविधान में बिना संशोधन किया क्या यह संभव है? जिस तरह से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज रखा गया संस्थाओं के नाम भी बदले गए। ऐसा लगने लगा है कि अब नाम बदलने की राजनीति हावी होती जा रही है। यहां ये बताना भी जरूरी है कि नाम केवल मोदी सरकार ने ही नही बदले इससे पहले भी बदले गए लेिकन बहुत कम। क्या नाम बदलने से जनता का दिलों दिमाग को बदल जा सकता है। अब आपको बताते हैे नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है। दरअसल नाम बदलने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है। आर्टिकल-1 इंडिया और भारत दोनों नामों मान्यता देता है। नाम बदलने के लिए संसद में संशोधन लाना होगा आर्टिकल 368 के तहत दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। यानी लोकसभा में 356 और राज्यसभा में 157 सदस्यों का समर्थन अनिवार्य है। 74 साल पहले 18 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एचवी कामत में देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत या भारतवर्ष करने का संशोधन प्रस्ताव पेश किया था। इस पर बहस हुई थी लेकिन वोटिंग के बाद प्रस्ताव गिर गया। संविधान सभा में बहस के दौरान संघ का नाम और राज्य क्षेत्र खंड के लिए पेश हुआ जैसे ही आर्टिकल 1 पढ़ा गया ‘India, that is Bharat, shall be a Union of States’ संविधान सभा में इसको लेकर मतभेद हुए फारवर्ड ब्लाक के सदस्य एचवी कामत ने अंबेडकर कमेटी के उसे मसौदे पर आपत्ती जाता दी। जिसमें देश के दो नाम यानी इंडिया और भारत थे। उन्होंने संशोधन प्रस्ताव रखा जिसमें इंडिया की जगह भारत में सुझाया गया। इतिहास में भारत का नाम और क्या है मान्यताएं है। प्राचीनकाल से भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं। जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। हालांकि इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भारत रहा है। पौराणिक मान्यताओं को आधार मानने पर भारत नाम के पीछे दुष्यंत के बेटे भरत का ही जिक्र आता है। ऋग्वेद की एक शाखा ऐतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर ही भारत नामकरण का तर्क है।
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इंडिया नाम सिन्धु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस नाम से जाना जाता था। इंडस शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। यूनान के इतिहासकार हेरोटोस ने 440 ईसा पूर्व इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने तुर्की और ईरान से इंडिया की तुलना करते हुए कहा था कि इंडिया स्वर्ग जैसा है। जहां की मिट्टी उपजाऊ है और जिस क्षेत्र में काफी ज्यादा आबादी रहती है। वर्ल्ड हिस्ट्री वेबसाइट के अनुसार 300 ईसा पूर्व पहली बार यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने सिंधु नदी के पार के इलाके के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया।