वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे:शहरी क्षेत्र में स्मोकिंग की बढ़ती आदत दे रही लंग कैंसर
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वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे:शहरी क्षेत्र में स्मोकिंग की बढ़ती आदत दे रही लंग कैंसर

Noida: लंग कैंसर पूरी दुनिया में तेजी से अपने पैर पसार रहा है। फेलिक्स अस्पताल ने वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे पर दो दिवसीय डॉक्टर टॉक का आयोजन कर , युवाओं को लंग कैंसर एवं धूम्रपान के खतरों के बारे में अवगत करवाया |

क्या होते है लंग कैंसर के मुख्य कारण ?
इसकी मुख्य वजह धूम्रपान यानी स्मोकिंग कही जा सकती है। इसके अलावा इसके कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं, जिनमें तंबाकू चबाना, स्मोकिंग वाले धुएं के संपर्क में आना है। भारत में लंग कैंसर के ज्यादातर मरीज धूम्रपान की वजह से इसकी चपेट में आते हैं। सिगरेट पीना फेफड़ों के जोखिम के सबसे आम और गंभीर कारकों में से एक है। हालांकि, धूम्रपान न करने वालों में भी कैंसर का यह रूप विकसित हो सकता है।

कब होता है लंग कैंसर?
लंग कैंसर तब होता है, जब कैंसर पैदा करने वाले एजेंट फेफड़ों में असामान्य कोशिकाएं बनाने लगते हैं।

क्या लंग कैंसर ठीक हो सकता है ?
शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता लग जाने से ठीक होने की दर 80 से 90 प्रतिशत तक होती है, जो दूसरे अंगों में फैलने के कारण कम होती जाती है। लंग के कैंसर में, मेटास्टेसिस अक्सर मस्तिष्क, लिम्फ नोड्स, लिवर और एड्रेनल ग्लैंड्स को प्रभावित करता है। लेकिन यह श्लेष ऊतक सहित शरीर में लगभग कहीं भी फैल सकता है।

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लंग कैंसर के लक्षण ?
अगर लगातार बलगम वाली खांसी आ रही हो और खांसी में खून आने लगे तो तुरंत डॉक्टरी जांच करवाने की जरूरत है। हालांकि खांसी होने पर डॉक्टर पहचान नहीं कर सकते कि लंग कैंसर है क्योंकि इसे हिडेन स्टेज कहा जाता है। अगर खांसी चार सप्ताह से ज्यादा समय तक बनी हुई है तो डॉक्टर से जांच करवाने की जरूरत हो जाती है। छाती में दर्द होना और किसी भी वक्त सांस लेने में दिक्कत महसूस होना भी लंग कैंसर का लक्षण हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति ज्यादा स्मोकिंग करता है तो उसे और उसकी नजदीकी लोगों को ये लक्षण इग्नोर नहीं करने चाहिए। अगर उसकी छाती में दर्द हो रहा है, साथ ही सांस लेते वक्त उसका दम फूल रहा है तो समझ जाना चाहिए कि फेफड़ों में दिक्कत हो रही है। लंग कैंसर के लक्षणों में बिना वजह थकान महसूस होना भी शामिल है। ज्यादा कामकाज किए बिना भी हर वक्त थकान का जारी होना भी इसका लक्षण हो सकता है।
मानसिक रूप से भी व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस करता है। उसका किसी चीज में मन नहीं लगता, व्यक्ति का वजन एकाएक गिरने लगता है और वो कमजोरी महसूस करने लगता है। उसे भूख लगनी बंद हो जाती है और चक्कर आने लगते हैं, यह थकान, कमजोरी लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। सिर में लगातार दर्द बने रहना, छाती, कंधे या पीठ में लगातार दर्द बने रहना और असमय बुखार की स्थिति बनना भी लंग कैंसर का लक्षण कहा जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को लगातार कमजोरी और खांसी के साथ बुखार हो रहा हो तो जांच करवानी चाहिए। वह लोग जो लगातार स्मोकिंग करते हैं, अगर इन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं तो ये लंग कैंसर के लक्षण कहे जा सकते हैं।
लंग कैंसर के प्रमुख लक्षण
-लगातार खांसी
-वजन में कमी
-भूख की कमी
-सांस लेने में दिक्कत
-बिना किसी कारण के वजन कम होना
-खून के साथ खांसी या जंग के रंग वाला बलगम
-सीने में दर्द- गहरी सांस लेने या खांसी होने पर बढ़ जाता है

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लंग कैंसर कितने प्रकार का होता है ?
लंग के कैंसर आमतौर पर स्मॉल सेल कैंसर, नॉन-स्मॉल सेल कैंसर, एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, लार्ज सेल कार्सिनोमा सहित पांच प्रकार के होते हैं।

कैसे लगा सकते है लंग कैंसर का पता ?
लंग के कैंसर का पता लगाने के लिए सीने का एक्स-रे, लो डोज सीटी, एचआरसीटी, पीईटी-सीटी, फेफड़ों की बायोप्सी करनी पड़ती है। लंग के कैंसर के उपचार में सर्जरी के अलावा कीमोथैरेपी और रेडिएशन थैरेपी का कॉम्बिनेशन शामिल है। एडवांस कैंसर के लिए, रेडिएशन थैरेपी ज्यादा कारगर रहती है। फेफड़ों के कैंसर का उपचार सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। व्यक्ति के पूरी तरह ठीक होने की सफलता की दर में कैंसर सेल का प्रकार और चरण सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्मॉल, शुरुआती चरण के फेफड़ों के कैंसर के मरीजों में सफलता की दर 80-90 प्रतिशत है।

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