प्राधिकरण एफडी जालसाजी मामलाः जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई नहीं, ऐसे की जाती है प्राधिकरण की एफडी
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प्राधिकरण एफडी जालसाजी मामलाः जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई नहीं, ऐसे की जाती है प्राधिकरण की एफडी

ठगों की हिम्मत देखिए कि उन्होंने किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि इस बार प्राधिकरण को ही निशाना बना लिया। पुलिस इस मामले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है, लेकिन मास्टरमाइंड मनु पोला आज भी फरार है। सवाल यह है कि क्या वाकईय मनु पोला मास्टर माइंड है या फिर उसके साथ प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों की भी मिलीभगत है। क्योंकि अब तक की जांच में पुलिस लगातार प्राधिकरण अधिकारी और कर्मचारियों पर नमी बरत रही है।

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हालांकि दिखावे के लिए कई कर्मचारियों से पूछताछ की गई मगर पुलिस को समझ ना आया कि इतना बड़ा जालसाजी का मामला कैसे हो रहा था। नोएडा के एडिशनल डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि थाना सेक्टर 58 पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम सुधीर चैधरी, मुरारी जाटव और राजेश बाबू है। मास्टरमाइंड मनु पोला फरार है उसके अलावा राजेश पांडे भी फरार है। इनके कब्जे से प्राधिकरण के फर्जी लेटर पैड, एफडी के कागजात आदि बरामद किए गए हैं, जबकि उनके खाते में 5 लख रुपए फ्रिज भी कराए गए हैं। एफडी जालसाजी के मामले में पुलिस लगातार आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन क्या अब तक पुलिस ने प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों ठीक से हाथ डाला है? इतना ही नही उनकी भूमिका के बारे में पुलिस फिलहाल कुछ खास बोलने को तैयार नहीं है। बस जांच करने की बात तही कही जा रही है।

कैसे होती है प्राधिकरण में एफडी

आईए आपको बताते हैं प्राधिकरण में कैसे होती है एफडी। दरअसल शुरुआती स्टेज पर अलग-अलग बैंक प्राधिकरण को जाकर बताते हैं कि वह कितना इंटरेस्ट देंगे और कितने दिनो तक एफडी होनी चाहिए एवं कितने रुपए की होनी चाहिए। इस दौरान कई बैंक अलग-अलग प्रपोजल बनाकर प्राधिकरण लिखित रूप में मंगाता है। जिसे बौके को सबमिट करना होता हैं। तब उन पर अकाउंटेंट से लेकर एसीईओ रैंक के अधिकारी चर्चा करते हैं। जिस भी बैंक का प्रपोजल अच्छा लगता है उसी के यहां प्राधिकरण अपना पैसे रखने का तय कर लेता है। इसके बाद जब प्राधिकरण खाता खुलवाता है तो उसके लिए फाइनेंस कंट्रोलर सहमति देते हैं। इसके बाद एफडी बनवावते वक्त फाइल सीईओ के पास सहमति के लिए जाती है।

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हालांकि जिम्मेदारी वित्तीय विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की अधिक होती है। उनको ही सत्यापित करना होता है कि जिस बैक मे एफडी होने जा रही है वो उनके हित में है या नही। बैंक बताता है कि प्राधिकरण के कितने पैसे की एफडी के कितने दिन बाद कितनी रकम होगी। एक बार मैच्योर होने पर बैंक को पत्र भेजा जाता है कि इससे आगे बढाना है या नही। यदि बैंक आगे बढाता है तो अब कितना ब्याज देंगा। सहमति की लम्बी प्रक्रिया होने के बाद भी ऐसी जालसाजी होना कुछ और ही इशारा करता है।

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 अपराध करने का तरीका
वादी मुकदमा ने दिनांक 04.07.20223 को थाना सेक्टर-58, नोएडा पर FIR करायी कि नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अपने बैंक खातों में जमा धनराशि को अधिकत्तम ब्याज देने के आधार पर बैंक ऑफ इण्डिया सैक्टर-62 को रू0 200 करोड़ की एफडी को स्वीकार किया गया। इस सम्बन्ध में दिनांक 21.06.2023 को बैंक खाता संचालन हेतु भी पत्र निर्गत किया गया। बैंक ऑफ इण्डिया सैक्टर-62 द्वारा अपने पत्र दिनांक 23.06.2023 एवं ई-मेल के द्वारा बैंक खाता खोले जाने की पुष्टि की गयी। तदोपरान्त प्राधिकरण द्वारा रू0 100-100 करोड़ की धनराशि दिनांक 26.06.2023 को एचडीएफसी बैंक सैक्टर-18 शाखा एवं इण्डियन बैंक सैक्टर-61 के खातों से भेजकर उपरोक्त कुल धनराशि रु 200 करोड़ की एफडी बनाकर कर नोएडा प्राधिकरण को उपलब्ध कराने को कहा गया। इस संबंध में बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा द्वारा रू0 100-100 करोड़ की दो एफडी दिनांक 26.06.2023 की मूल प्रति को प्राधिकरण को उपलब्ध कराया गया। दिनांक 03.07.2023 को बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सैक्टर-62 द्वारा दिये गये एफडी की पुष्टि करने के लिये बैंक शाखा आया तो पता चला कि बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा नौएडा प्राधिकरण के खाते में जमा धनराशि रु 200 करोड़ की एफडी नहीं बनवायी गयी थी बल्कि उस खाते से दिनांक 30.06.2023 को रू0 3.90 करोड़ किसी अन्य खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। प्राधिकरण के खाते में जमा धनराशि फीज करते हुए बैंक शाखा द्वारा तत्काल रु0 9 करोड़ के स्थानांतरण को रोक दिया गया तथा प्राधिकरण द्वारा जारी वित्त नियंत्रक महोदय एवं अधोहस्ताक्षरी के फर्जी हस्ताक्षर बनाये हुये प्रपत्र मिले तथा उनके मूल हस्ताक्षर वाले प्रपत्र बैंक में नहीं मिले तथा बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सैक्टर-62 द्वारा दिनांक 26.06.2023 को उपलब्ध करायी गयी रू0 100-100 करोड़ की दो एफडी भी फर्जी एवं कूट रचित बताया है तथा बैंक में प्राधिकरण द्वारा खोले गये खाते को अब्दुल खादर नामक व्यक्ति द्वारा संचालित करना बताया गया जिससे यह स्पष्ट होता है कि सम्बन्धित बैंक के कर्मियों द्वारा अज्ञात अभियुक्तों के साथ मिलकर फर्जी एवं कूटरचित प्रपत्र एवं एफडी तैयार करते हुये प्राधिकरण को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंच गयी है।

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