इंटरपोल व सीबीआई का सहयोग:अमेरिकियों को ठगने वाले दबोचे, विदेश में भी चला रहे थे काॅल सेंटर

नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की आईएफएसओ टीम ने एक अंतरराष्ट्रीय आपरेशन में एफबीआई, इंटरपोल व सीबीआई के सहयोग से चार आरोपितों को अमेरिकी नागरिकों से 20 मिलियन डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है। आरोपित अमेरिकी नागरिकों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में फंसाने की धमकी देकर उनसे लाखों डॉलर की ठगी करते थे। स्पेशल सेल के स्पेशल सीपी एचजीएस धालीवाल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों की पहचान पार्थ अरमारकर, दीपक अरोड़ा, वत्सल मेहता और प्रशांत कुमार के रूप में है। आरोपित अमेरिका के वॉशिंगटन इंटरपोल के डायरेक्टर और ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) के डॉक्टर उत्तम ढिल्लो के नाम से अमेरिका के अरबपतियों को कॉल करते थे। यह गिरोह अमेरिकी नागरिकों से करीब 163 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है। फिलहाल पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर और जानकारी जुटा रही है।

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धालीवाल ने बताया कि अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने बताया कि पार्थ अरमारकर नाम का एक शख्स खुद को उत्तम ढिल्लो बताते हुए लोगों को कॉल करता है। उन्हें झांसे में लेकर लाखों डॉलर ठग लेता है। दिल्ली पुलिस ने आरोपित के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि पार्थ गुजरात का रहने वाला है। गुजरात से जानकारी जुटाने पर पता चला कि पार्थ अक्सर अमेरिका, युगांडा, कनाडा आदि देशों की यात्रा करता है।
पुलिस ने पार्थ के बारे में जानकारी जुटाई, जिसके बाद उसे अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया। पार्थ ने पूछताछ में बताया कि वह वत्सल मेहता के लिए काम करता है। उसकी निशानदेही पर वत्सल मेहता को दबोच लिया। दोनों से पूछताछ के बाद दिल्ली के दीपक अरोड़ा और प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक वत्सल मेहता इस गिरोह का सरगना है। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह लंबे समय से देश और विदेश में कॉल सेंटर चला रहे हैं। वे विदेशी नागरिकों को कॉल कर उनके साथ ठगी करते हैं।
पुलिस के मुताबिक आरोपितों के फर्जी कॉल सेंटर से अमेरिका के अरबपति लोगों को उत्तम ढिल्लो के नाम से फोन की जाती थी। उत्तम ढिल्लो वॉशिंगटन इंटरपोल के डायरेक्टर और ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) के वरिष्ठ अधिकारी हैं। वह नशा तस्करों और चाइल्ड पॉर्नोग्राफी करने वाले अपराधियों को पकड़ने के लिए अमेरिका में मशहूर है। जाल में फंसे लोगों को डराया जाता कि बॉर्डर पर जांच के दौरान चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से संबंधित कुछ वीडियो मिली है, जिसमें उनका नाम सामने आ रहा है।

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चाइल्ड पोर्नोग्राफी के गंभीर अपराध में वह बुरी तरह से फंस सकते हैं। उन्हें कड़ी सजा का सामना करना होगा। पीड़ित के सामने मामले को रफा-दफा करने की पेशकश रखी जाती। जिसके बाद लाखों डॉलर ठग लिए जाते। डील फाइनल होने के बाद आरोपित पीड़ित से सोना, डॉलर, क्रिप्टो करेंसी या अन्य किसी तरह से पैसे वसूलते थे। आरोपितों ने भारत में ही नहीं, बल्कि युगांडा में कई जगह अपने फर्जी कॉल सेंटर खोले हुए हैं।
एफबीआई ने अभी तक 50 पीड़ितों से पूछताछ की है। जिसमें खुलासा हुआ है कि आरोपित कम से कम एक लाख डॉलर की डील करते थे। दिल्ली पुलिस ने भी दो पीड़ितों से वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ की है।पकड़े जाने के बाद आरोपितों ने यह भी बताया कि उन्होंने अमेरिका में अरबपति लोगों को तलाशने के लिए एक रिसर्च टीम भी रखी है। यह टीम सोशल मीडिया से लेकर कई अन्य तरीकों से ऐसे लोगों की पहचान करती थी, जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी की वेबसाइट पर विजिट करते थे। इसके बाद उनके बारे में जानकारी जुटाई जाती। जिसके बाद उन्हें फर्जी कॉल सेंटर से फोन किए जाते थे।

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