हर घर जल’ कार्यक्रम ने डाला सकारात्मक प्रभाव: डब्ल्यूएचओ

नई दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक देश में सभी घरों के लिए सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सुनिश्चित करने से डायरिया से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोका जा सकता है। इसके साथ भारत में सुरक्षित प्रबंधित पेयजल के सार्वभौमिक कवरेज के साथ, लगभग 14 मिलियन डीएएलवाई (विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष) डायरिया रोग से बचने का अनुमान लगाया है, जिसके कारण 101 बिलियन डॉलर तक की अनुमानित लागत की बचत हो सकती है। यह विश्लेषण डायरिया से होने वाली बीमारियों पर केंद्रित है।

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शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर जल कार्यक्रम का सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक बचत के प्रभाव पर तैयार रिपोर्ट जारी की। संगठन के मुताबिक इस योजना का देश के लोगों में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
डब्ल्यूएचओ की ग्राउंडब्रेकिंग रिपोर्ट के लॉन्च के अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने ‘हर घर जल’ कार्यक्रम के लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन बचाने, महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने और जीवन को सुगम बनाने में सुरक्षित पेयजल की भूमिका अहम हैं। उन्होंने कहा कि पेयजल कार्यक्रम का लोगों और परिवारों के जीवन में अन्य कार्यक्रमों के मुकाबले अधिक शारीरिक, मानसिक और आर्थिक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि हर सेकंड एक नया कनेक्शन जोड़ा जा रहा है और आज भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य को बदल रहा है।

 

जीवन को सुगम बनाने में सुरक्षित पेयजल की भूमिका अहम
इस मौके पर पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय की सचिव विनी महाजन, डॉ. राजीव बहल, महानिदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन, डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि भारत भी मौजूद थे। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में, भारत में एक महिला को रोजाना औसतन 45.5 मिनट पानी इकट्ठा करने में खर्च करती थीं, यानि जिन घरों में नल नहीं था उनकी महिलाओं को रोजाना पानी लाने में 666 लाख घंटे लगा करता था। इनमें से अधिकांश महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से थीं। लेकिन अब हर घर जल मिशन से महिलाओं को पानी लाने के लिए घंटों नहीं गंवाने पड़ते । डीडीडब्ल्यूएस सचिव विनी महाजन ने कहा कि ग्रामीण नल जल कनेक्शन 2019 में 16.64 प्रतिशत से बढ़कर 41 महीने की अवधि के भीतर 62.84 प्रतिशत हो गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) विभिन्न सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) संकेतकों की निगरानी करता है, जिसमें सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवाओं और असुरक्षित पानी से संबंधित मृत्यु दर का अनुपात शामिल है।

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