उत्तर प्रदेश की टॉप 50 अपराधियों की सूची में शुमार कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना कब जमानत पर छूट गया। पुलिस को कानों कान खबर ना हुई। इसे पुलिस की लापरवाही कहें या फिर देख कर भी अनदेखी। अनिल दुजाना जमानत पर बाहर आ गया और गवाहों को धमकाने लगा। गवाहों में डर बिठाकर गवाही पलटवाने कि वह पुरजोर कोशिश करता रहा। एक गवाह ने थाना सूरजपुर में रिपोर्ट भी दर्ज कराई, मगर पुलिस की नींद तब भी नहीं टूटी।
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आखिर अपराधियों को सजा दिलाने का दम भरने वाली पुलिस अनिल दुजाना पर शिकंजा क्यों नहीं कस पाई? आखिर पुलिस की ओर से क्यों पैरावई नहीं हुई? इसको लेकर जनमानस में चर्चाएं हो रही है। यह तक कहा जाने लगा है कि पुलिस का संरक्षण ही था जो अनिल दुजाना कोर्ट से जमानत लेकर बाहर आ गया। सबने ने देखा होगा कि किस तरह से अतिक और अशरफ, मुख्तार अंसारी और अफजल अंसारी के मामले में सतर्कता बरती गई। अपराधियों को सबक सिखाने के लिए से बहुत जरूरी है। तभी जाकर उन्हें अलग-अलग मामलों में तुरंत सजा दे होती चली गइर्, लेकिन पुलिस के दोहरे मापदंड अपराधियों के हौसले बढ़ा रहे हैं।
दुजाना ने बाहर निकलते ही धमकी
अनिल दुजाना गिरोह का गौतम बुध नगर में व आसपास के जिलों में काफी असर है। यही कारण है कि अनिल दुजाना रंगदारी वसूलने के साथ-साथ यहां अलग-अलग कंपनियों में स्क्रैप के ठेकों में भी दखल देता है। अनिल दुजाना पर जयचंद प्रधान की हत्या का मामला कोर्ट में चल रहा है। जयचंद की पत्नी संगीता इस मामले में गवाह है। 2 दिन पहले संगीता ने थाना सूरजपुर पुलिस को शिकायत दी कि उसे अनिल दुजाना डरा धमका रहा है।
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सूरजपुर कोर्ट से लौटने के दौरान उसको गवाही से पीछे हटने की धमकी दी गई है और जिस वक्त धमकी दी गई। उस दौरान अनिल दुजाना भी मौके पर मौजूद था। दरअसल 2015 में सरकारी गनर और गवाह की हत्या हुई थी। कुल 47 एफआईआर अनिल दुजाना के खिलाफ दर्जन जिसमें 8 से अधिक मामले हत्या के 12 से अधिक मामले रंगदारी के हैं। ऐसे में सवाल ये है कि सेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के डीसीपी क्या कर रहे है। क्या अनके अन्य अफसरों ने उन्हें सूचना नही दी।