खुलने लगी जमीन घोटाले की परतें
ग्रेटर नोएडा। मथुरा जिले में जमीन खरीद घोटाले में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता ही नहीं बल्कि कई और रिटायर्ड अफसरों के नाम सामने आए हैं। उन अफसरों के साथ उनके रिश्तेदारों ने भी वहां पर जमीन खरीदी है। साथ ही, जिन 19 कंपनियों के जरिये जमीन खरीदी गई, उन कंपनियों में भी इनके शेयर हैं। हालांकि, इस मामले में अभी तक पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।मथुरा जनपद के सात गांवों में यमुना एक्सप्रेस वे से उतरने-चढऩे के लिए रैंप व विकास के लिए 57 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई थी। इस खरीद में 126 करोड़ रुपये खर्च हुए। यमुना प्राधिकरण ने विभागीय जांच कराई तो सामने जानकारी आई कि कई अफसरों के साथ मिलीभगत करके कुछ लोगों ने पहले जमीन खरीदी और फिर वह जमीन प्राधिकरण ने खरीद ली। इस मामले में 21 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है। जमीन खरीदने के लिए 19 कंपनियां बनाई गईं है। बताया जा रहा है कि इसमें भी इस ग्रुप के ही लोग शामिल हैं।
आरोपी कंपनी एएनजी इंफ्रास्ट्रक्चर कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड व डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड में कई रिटायर्ड आईएएस अफसरों के नाम सामने आए हैं। इन लोगों ने भी यहां जमीन खरीदी और करोड़ों रुपये का काम लिया। कई रिटायर्ड अफसरों के रिश्तेदारों ने भी इस खेल में लाभ कमाया है। यह जानकारी कंपनी के शेयरधारकों की जानकारी मिलने के बाद सामने आई है। अब इन लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी हो रही है। बहुत संभव है कि अगले हफ्ते रिपोर्ट दर्ज हो जाए।इस मामले में 3 जून को एफआईआर हुई थी, लेकिन आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। हालांकि, एसएसपी अजयपाल शर्मा ने बताया कि मामले में पुलिस जांच जारी है। पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता के भी दो रिश्तेदारों से पूछताछ हुई है लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने नियोजन विभाग की महाप्रबंधक और सीईओ से भी जांच कराई गई। इसमें जमीन खरीदने में बड़ी गड़बढ़ी सामने आई। जिन लोगों से प्राधिकरण ने जमीन खरीदी, उन्होंने किसानों से तीन से चार महीने पहले ही जमीन खरीदी थी। उनमें से कई पीसी गुप्ता व अन्य अधिकारियों के जान-पहचान वाले भी थे।
सात गांवों में खरीदी गई जमीन समेकित नहीं है, बल्कि बिखरी हुई। सभी खसरे एक दूसरे से अलग हैं। अधिकांश गांव के खसरे दूर-दूर हैं। काफी खसरों में आंशिक भाग ही खरीदा गया है। पूरी जमीन ही नहीं खरीदी गई है। समिति ने किसानों को 7 प्रतिशत आबादी भूखंड देने के लिए जो संतुति की थी, उस हिसाब से जमीन ही नहीं खरीदी गई।
तीन जून को हुई थी एफआईआर दर्ज, अभी तक नहीं हो पाई किसी की गिरफ्तारी