चालू वित्तीय वर्ष रुपये में बड़ी गिरावट देखने को मिली हैे। करीब 8-10 फीसदी की गिरावट आई। अलकेमी कैपिटल मैनेजमेंट के मुताबिक रुपये में कुछ दिनों तक कमजोरी और उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
ब्ताया जा रहा है कि बीते सप्ताह डॉलर में आई कमजोरी के बाद रुपया मजबूत हो रहा है। वल्र्ड बेंचमार्क डॉलर का कमजोर होना दूसरी करेंसीज के लिए सकारात्मक साबित हुआ है। आज रुपया डॉलर के मुकाबले 80.52 रुपये के लेवल पर खुला। इससे पहले बीते शुक्रवार को यह 81.80 के स्तर पर बंद हुआ था। नवंबर महीने में आई तेजी से पहले रुपया पिछले कई हफ्तों से कमजोर होकर नए सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया था। बीते अक्तूबर महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर इतिहास में पहली दफा 83 के स्तर पर पहुंच गया था।
इस वर्ष रुपये में अब तक 8-10 प्रतिशत की गिरावट आई। विषेशज्ञय के अनुसार रुपया ने बीते दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से की गई मजबूत बिकवाली के कारण बहुत झंझावत झेले हैं। यूएस फेड की ओर से मॉनेटरी पॉलिसी कड़ा करने और रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का भी रुपये पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इस लड़ाई के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के भाव बढ़ गए, इसका खामियाजा भी रुपये को भुगतना पड़ा।
वहीं हफ्ते के पहले कारेाबारी दिन आज यानि सोमवार (14 नवंबर) को सेंसेक्स और निफ्टी सुस्ती के साथ क्रमशः 61,762.64 और 18,362.75 अंको पर करोबार करता दिखा। निवेशकों की नजर सोमवार को जारी होने वाली भारत के रिटेल महंगाई के आंकड़ों पर टिकी हुई है। इससे पहले सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। लगातार तीसरी तिमाही में यह आरबीआई को सरकार की ओर से दिए गए लक्ष्य 2-6 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक रही। बता दें कि वर्ष 2016 में पेश किए गए लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे के तहत यदि सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों के लिए 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से बाहर रहती है तो आरबीआई को महंगाई के प्रबंधन में विफल माना जाता है। गत अक्तूबर महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर इतिहास में पहली बार 83 के स्तर पर पहुंच गया था।