इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने बताया कि महिलाओं के विरुद्ध आपराधिक घटनाओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है ताकि महिलाओं को न्याय को जल्द न्याय मिल सके। फास्ट ट्रैक कोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश के फरीदाबाद में दो तथा गुरुग्राम, पानीपत , सोनीपत तथा नूह जिला में 1-1 फास्टट्रैक कोर्ट स्थापित की जाएगी।
– एचपीए मधुबन में महिला जांच अधिकारियों के लिए नियमित तौर पर करवाए जा रहे हैं प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा रिफ्रेशर कोर्स
– सीन ऑफ क्राइम टीम को उपलब्ध करवाई गई है अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इन्वेस्टिगेशन किट
इतना ही नहीं , सीन ऑफ क्राइम टीम द्वारा घटनास्थल से वैज्ञानिक तरीके से आवश्यक साक्ष्य जुटाने के लिए सभी जिलों में जांच अधिकारियों को इन्वेस्टिगेशन किट उपलब्ध करवाई गई है। यह इन्वेस्टिगेशन किट वैज्ञानिक तरीके से काफी उच्चतर है जिससे जांच प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष बनाया जा सकता है।
– महिला विरूद्ध अपराधों को प्राथमिकता से लेते हुए एफएसएल द्वारा कम से कम समय अवधि में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं लैब रिजल्ट
कपूर ने बताया कि महिलाओं संबंधी अपराध जैसे बलात्कार तथा छेड़छाड़ आदि के मामलों को गंभीरता से लेते हुए एफएसएल द्वारा जल्द से जल्द लैब के परिणाम उपलब्ध करवाए जाते हैं। इस दौरान सभी कानूनी मानदंडों तथा औपचारिकताओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाता है ताकि महिला को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
– महिला अपराध संबंधी मामलों को लेकर प्रत्येक जिला में डीएसपी स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया गया नोडल ऑफिसर
महिला सुरक्षा की डीआईजी नाजनीन भसीन ने बताया कि महिला विरुद्ध अपराधों की मॉनिटरिंग को लेकर प्रदेश के प्रत्येक जिले में डीएसपी स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, महिला पुलिस थानों में ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए महिला पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की गई है ताकि महिलाएं बिना किसी झिझक अथवा संकोच के सुरक्षित वातावरण में अपनी समस्याओं के बारे में बता सके।
महिला सुरक्षा को लेकर प्रदेश में लगाए गए 2 लाख से अधिक सीसीटीवी कैमरे
उन्होंने बताया कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उनमें आत्मविश्वास बढ़ाने को लेकर विभिन्न विभागों के सहयोग से 2 लाख से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखी जाती है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर पुलिसकर्मियों द्वारा तुरंत कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आपराधिक कानून संशोधन -2018 के अनुसार 12 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्कार होने पर मामले की जांच 2 महीने की समयावधि में पूरे किए जाने का प्रावधान किया गया है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।