झारखंड में थैलेसीमिया उपचार के दौरान 6 बच्चों को HIV संक्रमण: चाईबासा अस्पताल पर लगा लापरवाही का आरोप, सीएम ने पूरे राज्य के ब्लड बैंक ऑडिट का दिया आदेश

Ranchi/Chaibasa News: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित कम से कम छह बच्चों को खून चढ़ाने के दौरान एचआईवी संक्रमण हो गया है। यह मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है, जिसमें जिला सिविल सर्जन समेत तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे राज्य के सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है, जबकि हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच की मांग की है। परिवारों ने अस्पताल पर गरीबों के प्रति लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है।

मामला 18 अक्टूबर को तब उजागर हुआ जब एक सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे की एचआईवी जांच पॉजिटिव आई। परिवार का दावा है कि बच्चे को सितंबर से अक्टूबर के बीच अस्पताल के ब्लड बैंक से लगभग 25 यूनिट खून चढ़ाया गया था, और कोई अन्य अस्पताल में इलाज नहीं कराया गया था।

प्रारंभिक जांच में पांच अन्य बच्चे भी संक्रमित पाए गए, जिससे कुल संख्या छह हो गई। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, संक्रमण का मुख्य कारण ‘विंडो पीरियड’ हो सकता है—जब दानकर्ता को एचआईवी होने के बाद एंटीबॉडी विकसित होने में 10 दिनों का समय लगता है, और स्टैंडर्ड टेस्ट में यह पता नहीं चलता।

चाईबासा सदर अस्पताल जिले का एकमात्र ब्लड बैंक है, जो 2019 से संचालित हो रहा है। यहां रोजाना 45-50 यूनिट खून एकत्र किया जाता है, जिसमें स्वैच्छिक, रिप्लेसमेंट और दोहराव दानकर्ता शामिल हैं। थैलेसीमिया के 56 पंजीकृत मरीज हैं, जो मासिक दो-तीन बार खून चढ़वाते हैं। कुछ मरीजों को पिछले दो वर्षों में 60 से अधिक ट्रांसफ्यूजन हुए हैं। दान किए गए खून की जांच एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी, सिफिलिस और मलेरिया के लिए अनिवार्य है, जिसमें रैपिड टेस्ट, ईएलआईएसए और कुछ मामलों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) शामिल है। फिर भी, प्रारंभिक जांच में ब्लड स्क्रीनिंग, रिकॉर्ड रखरखाव और ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे “अत्यंत दर्दनाक और अस्वीकार्य” बताते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा, “इस घटना से स्वास्थ्य प्रक्रिया में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग को पांच दिनों में सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।” उन्होंने प्रत्येक प्रभावित परिवार को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता और संक्रमित बच्चों के पूरे इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करने की घोषणा की। सभी बच्चे एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) पर हैं और चिकित्सकीय निगरानी में हैं।

कार्रवाई के तहत पश्चिम सिंहभूम के सिविल सर्जन डॉ. सुषांतो मांझी, एचआईवी यूनिट के प्रभारी डॉक्टर और एक तकनीशियन को तत्काल निलंबित कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने छह सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसका नेतृत्व डॉ. नेहा अरोड़ा (विशेष सचिव) कर रही हैं। इसमें डॉ. सिद्धार्थ संयाल (स्वास्थ्य सेवा निदेशक), डॉ. एसके सिंह (मेडिकल एजुकेशन निदेशक), डॉ. सुषमा कुमारी (आरआईएमएस ब्लड बैंक प्रभारी), रितु सहाय (ड्रग कंट्रोल संयुक्त निदेशक) और डॉ. अमरेंद्र कुमार शामिल हैं। समिति को खून संग्रह, जांच, भंडारण और वितरण प्रक्रिया की समीक्षा कर सात दिनों में विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी है।

इसके अलावा, रांची से पांच सदस्यीय मेडिकल टीम ने 25 अक्टूबर को अस्पताल का निरीक्षण किया, जिसमें स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. दिनेश कुमार शामिल थे। टीम ने ब्लड बैंक, पीआईसीयू वॉर्ड और लैब का दौरा किया। अधिकारियों ने 2023 से 2025 के बीच संक्रमित बच्चों को चढ़ाए गए 256 दानकर्ताओं का पता लगाया है, जिनकी दोबारा एचआईवी जांच कराई जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा, “यह संवेदनशील मामला है, विपक्ष इसे राजनीतिक रंग दे रहा है। एक महीने में सभी जांच पूरी होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।” हालांकि, सीएम सोरेन ने मंत्री से एक्स पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिससे सियासी भूचाल मच गया है।

सोशल मीडिया पर जनता में भारी आक्रोश है। एक यूजर ने लिखा, “भारतीय चिकित्सा व्यवस्था पर गर्व करने वाले, यह देखिए—गरीब बच्चों की जिंदगी बर्बाद!” कई पोस्ट में अस्पताल की लापरवाही को गरीबों के खिलाफ साजिश बताया गया। एनएचआरसी को भी शिकायतें भेजी जा रही हैं। जिले में वर्तमान में 515 एचआईवी पॉजिटिव केस हैं, जिसमें प्रवासी मजदूर और अन्य जोखिम समूह शामिल हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि रैपिड टेस्ट किट्स की सीमाओं को दूर करने के लिए एनएटी और ईएलआईएसए जैसी उन्नत तकनीकों को अनिवार्य करना चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने सिस्टमिक सुधार, सख्त निगरानी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की मांग की है। झारखंड हाईकोर्ट की निगरानी में चल रही जांच से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की उम्मीद है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।

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