प्रमुख घटनाएं और विवाद
वर्ष की शुरुआत में दिल्ली और अंत में बिहार विधानसभा चुनाव हुए। दोनों में भाजपा नीत एनडीए ने विपक्ष को बुरी तरह पराजित किया। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और बिहार में तेजस्वी यादव की राजद को करारी हार मिली। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी उभर नहीं पाई। नीतीश कुमार की स्थिति मजबूत रही तो चिराग पासवान को नई चमक मिली।
संसद में भी तनाव चरम पर रहा। भाजपा ने विवादास्पद विधेयक पारित कराए — वर्ष के पहले हिस्से में वक्फ संशोधन विधेयक और अंत में एमजीएनआरईजीए की जगह लेने वाला वीबी जी राम जी बिल। राहुल गांधी ने भाजपा और चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” के गंभीर आरोप लगाए, लेकिन ये आरोप जनता तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंच पाए।
अन्य बड़े मुद्दों में ट्रंप प्रशासन की नई टैरिफ नीति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर, पहलगाम आतंकी हमला और उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर, मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) तथा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का आकस्मिक इस्तीफा शामिल रहे। इन सभी पर सत्ता और विपक्ष के बीच कड़वी बहस हुई।
भाजपा के सांस्कृतिक-सैद्धांतिक एजेंडे भी आगे बढ़े। अंडमान-निकोबार में वीडी सावरकर की प्रतिमा का अनावरण, वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का आयोजन, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती और प्रधानमंत्री मोदी का बार-बार “मैकॉलेवादी मानसिकता” से मुक्ति का आह्वान — ये सभी कार्यक्रम जारी रहे।
वैश्विक संदर्भ
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उनकी टैरिफ नीति ने वैश्विक कूटनीति को प्रभावित किया। भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है। यूरोप में दक्षिणपंथी दलों का उभार और ब्रिटेन में कीर स्टार्मर की सरकार — इन सबने विश्व राजनीति को नया रंग दिया, जिसकी छाया भारत पर भी पड़ी।
2026 की चुनौतियां
आने वाला साल कई बड़े राज्य चुनावों वाला है। जनवरी में ब्रिहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव से शुरुआत होगी, इसके बाद पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होंगे।
• पश्चिम बंगाल: सबसे रोचक मुकाबला। भाजपा ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की जमीनी पकड़ और मुस्लिम वोटों का मजबूत आधार चुनौती बना हुआ है।
• तमिलनाडु: अभिनेता विजय की एंट्री ने द्विध्रुवीय राजनीति को त्रिकोणीय बना दिया है। डीएमके की कल्याणकारी नीतियां मजबूत हैं, लेकिन विजय वोट काट सकते हैं।
• असम: कांग्रेस के लिए बड़ा परीक्षा। भाजपा का गठबंधन मजबूत है और ध्रुवीकरण की रणनीति प्रभावी।
• केरल: INDIA गठबंधन के अंदर ही प्रतिस्पर्धा। स्थानीय निकाय चुनावों के बाद कांग्रेस का मनोबल ऊंचा है; अगर वाम मोर्चा हारा तो पांच दशक बाद देश में कोई कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री नहीं रहेगा।
इसके अलावा “एक राष्ट्र, एक चुनाव” पर संविधान संशोधन विधेयक, माओवाद उन्मूलन की समयसीमा (मार्च 2026), जातीय गणना के साथ डिजिटल जनगणना और राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव प्रमुख मुद्दे रहेंगे।
भाजपा में नई नेतृत्व टीम आएगी — बिहार के मंत्री नीतीन नवीन को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है। वहीं विपक्ष, खासकर कांग्रेस, बेरोजगारी और ग्रामीण रोजगार गारंटी में बदलाव जैसे मुद्दों पर हमलावर होने की तैयारी कर रही है, हालांकि “वोट चोरी” का अभियान जारी रहने के आसार हैं।
कुल मिलाकर 2025 ने साबित किया कि चुनाव न होने पर भी राजनीति शांत नहीं रहती। 2026 में यह तनाव और बढ़ने की पूरी संभावना है।

