पीएम मोदी के भाषण के दौरान गूंज उठा अमेरिकी संसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दूसरे दिन व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति बाइडन से द्विपक्षीय वार्ता के बाद अमेरिकी संसद को भी संबोधित किया। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। साथ ही भारत-अमेरिका के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते खतरे, सीमापार आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत की गई। ऐसे में यह जानना अहम है कि पीएम मोदी ने किस तरह अमेरिका में अलग-अलग देशों को लेकर अपना एजेंडा साफ किया? मजेदार बात यह है कि भारत-अमेरिका के साझा बयान में सिर्फ इन्हीं देशों को लेकर जिक्र नहीं किया गया है, बल्कि ग्लोबल साउथ और अफ्रीका के मुद्दे को भी उठाया गया है।
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यूक्रेन, चीन और पाकिस्तान के बारे में बोले पीएम
पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट पर गहरी चिंता जताई। इसी के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना दोनों देशों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, श्वैश्वीकरण का एक नुकसान यह हुआ है कि सप्लाई चेन सीमित हो गई है। हम मिलकर कोशिश करेंगे कि सप्लाई चेन भी विकेंद्रितकृत और लोकतांत्रिक हो। तकनीक ही सुरक्षा और खुशहाली को तय करेगी। यूक्रेन संकट की वजह से यूरोप जंग के साये में है। इसमें कई शक्तियां शामिल हैं इसलिए नतीजे गंभीर हैं। विकासशील देश प्रभावित हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन-रूस युद्ध पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि युद्ध से लोगों को पीड़ा पहुंचती और अर्थिक नुकासन भी होता है। दो देशों के युद्ध के वजह से विकासशील देश भी प्रभावित हुए हैं। युद्ध के कारण वैश्वीकरण को भी नुकसान पहुंचा है। सप्लाई चेन सीमित हो गई है। हमें मिलकर कोशिश करना होगा कि सप्लाई चेन को भी विकेंद्रीकृत और लोकतांत्रिक किया जाए। तकनीक ही सुरक्षा और खुशहाली को तय करेगी। यूक्रेन संकट की वजह से यूरोप जंग के साये में है। इसमें कई शक्तियां शामिल हैं, इसलिए नतीजे गंभीर हैं। पीएम ने कहा कि मैंने खुलकर कहा था कि यह जंग का दौर नहीं है, बल्कि संवाद और कूटनीति का दौर है। हमें रक्तपात और लोगों की पीड़ा को मिलकर रोकना चाहिए।
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आतंकवाद पर पाकिस्तान को दो टूक
चीन और पाकिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि टकराव के काले बादल हिंद प्रशांत क्षेत्र पर भी सीधे असर डाल रहे हैं। क्षेत्र में स्थिरता हमारी साझा चिंता है। हम मिलकर खुशहाली चाहते हैं। 9ध्11 हमले और मुंबई में 26ध्11 हमले के बाद अब भी कट्टरवाद और आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है। आतंकवाद इंसानियत का दुश्मन है। इससे निपटने के लिए कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए। आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले और आतंकवाद का निर्यात करने वालों के खिलाफ हमें मिलकर लड़ना चाहिए। दुनिया बदल रही है। दुनिया को नए वर्ल्ड ऑर्डर की जरूरत है।